प्रसिद्ध मंदिर जहां पूजे जाते हैं दशानन
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वाकई में रावण अपने अहंकार से हारे थे नहीं तो कठिन तपस्याओं से ऊपर उठे रावण के जैसा तीनों लोकों में कोई न था। यही वजह है कि सिर्फ श्रीलंका ही नहीं भारत में कई स्थान ऐसे हैं जहां आज भी रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि रावण की पूजा की जाती है। चूंकि रावण शिवभक्त थे इसलिए उनके मंदिरों की खास बात यह है कि जहां भी शिवालय होते हैं, उन्हीं के समीप राणव के मंदिर मौजूद हैं। तो हम आपको दशहरे के अवसर पर बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में…..
जोधपुर रावण मंदिर (राजस्थान)
जोधपुर में रहने वाले मुद्गल ब्राहाण खुद को रावण के वंशज मानते हैं। इसलिए इन्होंने जोधपुर में रावण के मंदिर का निर्माण करवाया है, जहां नियम से दशानन की पूजा की जाती है। वे दशहरे के दिन पिण्डदान भी करते हैं।
काकीनाडा (आंध प्रदेश)
आंध प्रदेश के काकीनाडा में रावण का प्रसिद्ध मंदिर है जहां रावण की पूजा की जाती है। यहां विशाल शिवलिंग और रावण की विशाल मूर्ति स्थापित है। स्थनीय मछुआरे इस मंदिर की देखभाल करते हैं।
दशानन मंदिर (कानपुर)
कानपुर के शिवाला क्षेत्र में दशानन रावण मंदिर स्थित है। यह मंदिर साल में एक ही बार दशहरे के दिन खुलता है और विधि-विधान से रावण की पूजा की जाती है। हजारों लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। माना जाता है कि यहां मांगी गई मन्नमें पूरी होती है।
रावणग्राम विदिशा (मध्यप्रदेश)
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में स्थित रावणग्राम में रावण को महात्मा या बाबा के रूप में पूजा जाता है। यहां रावण की करीब 10 फीट लंबी पाषाण प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा मे विराजित है। दशहरे के दिन यहां खास श्रृंगार कर विधिवत पूजा की जाती है। चूंकि रावण की जान उसकी नाभि में बसती थी, अत यहां पर रावण की नाभि पर तेल लगाने की परंपरा है अन्यथा पूजा अधूरी मानी जाती है।
बैजनाथ (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ ग्राम को रावण की तपस्या स्थली माना जाता है। यहां रावण ने सैकड़ों साल तक तपस्या की थी। यहां रावण दहन नहीं वरन दशहरे के दिन अवकाश रखकर उत्सव मनाया जाता है।
झाझोड़ (राजस्थान)
उदयपुर के ग्राम झाझोड़ को रावण की अमरत्व स्थली माना जाती है। कहते हैं यहीं पर भगवान शिव ने रावण की नाभि में अमृत कुंड स्थापित किया था। रावण ने भी यहां एक मंदिर की स्थपना की जो आज कमलनाथ महादेव के नाम से जानी जाती है। यहां शिवजी की पूजा से पहले रावण की पूजा की जाती है।
मंदसौर (मध्यप्रदेश)
मध्यप्रदेश के मंदसौर शहर को रावण की ससुराल के रूप में जाना जाता है। यहां रावण दहन नहीं बल्कि दामाद के रूप में रावण का मान किया जाता है। यहां आज भी महिलाएं रावण के मंदिर के सामने घूंघट करती हैं।
बिसरख (उत्तर प्रदेश)
गाजियाबाद से मात्र 15 किमी दूर बिसरख गांव में स्थित है रावण का मंदिर। यह स्थल रावण का जन्मस्थल व ननिहाल है और रावण के पिता विश्रवा ऋषि के नाम का ही अपभ्रश होते-होते यह स्थान बिसरख कहलाने लगा। यहां आज भी दशहरे के दिन लोग उत्साह नहीं बल्कि शोक मनाते हैं। यहां सुबह-शाम दोनों समय रावण की पूजा की जाती है।
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