क्या अब भी बदल सकेंगे 500 और 1000 के नोट?
भारत में 500 और 1000 रूपए के नोटों पर बैन के बाद देश की समूची आंतरिक व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। सरकार ने पुराने नोटों को बैंक में जमा करने हेतु 30 दिसम्बर तक का समय दिया था। यह पीरियड ख़त्म होने के बाद अब केवल NRI ही 30 जून तक 25000 रु. तक के नोट जमा/एक्सचेंज कर सकते हैं। इस बारे में आपके नॉलेज के लिए यह भी पढ़ें – अब सिर्फ NRI ही बदलवा सकेंगे 1000-500 के नोट
जुलाई तक इन्हें नष्ट ना कीजियेगा
नोटों के इन सब अंतिम क्रिया-कर्म की तिथियों के बाद भी अभी इनकी लाइफ के लिए एक आशा की किरण बाकी है. इसलिए अगर आपके पास अब भी 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोट बचे हैं तो जुलाई तक इन्हें नष्ट ना कीजियेगा, क्योंकि इनका अंतिम निर्णय अभी सुप्रीम कोर्ट में होना बाकी है, जिससे इन बंद नोटों का अंतरिम हश्र तय हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट जुलाई में तय करेगा
सुप्रीम कोर्ट जुलाई में यह तय करेगा कि जो लोग किन्हीं उचित कारणों से 30 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट बैंकों में जमा नहीं कर सके या 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते वक्त प्रधानमंत्री के उस वादे पर लोगों ने भरोसा कर लोगों ने सम्पूर्ण नोट जमा नहीं किये कि 30 दिस. के बाद भी मोदी उन्हें नोट जमा करने के और चांस देंगे! जुलाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या नोट जमा करने का एक मौका दिए जाने के लिए सरकार को आदेशित किया जाना चाहिए या नहीं।
पीएम ने और मौका दिए जाने की बात कही थी
आपको बता दें कि पीएम ने 8 नवंबर के नोटबंदी सम्बंधित अपने भाषण में चलन से बाहर किए गए नोट 30 दिसंबर के बाद भी जमा कराने का और मौका दिए जाने की बात कही थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर लाए गए अध्यादेश में मियाद बढ़ाकर नागरिकों को नोट जमा कराने का एक और मौका दिए जाने की कोई बाध्यता नहीं है। अध्यादेश में चलन से बाहर हुए नोटों को रखना अपराध माना गया है।
सरकार नहीं चाहती और मौका देना
दर्जनभर से ज्यादा याचिकाकर्ताओं ने 30 दिसंबर से पहले नोट जमा नहीं करा पाने की विभिन्न वजहों का हवाला दिया। उनके वकीलों ने कोर्ट में शिकायत की कि केंद्र सरकार ने इन मामलों के बिल्कुल अलग कारणों पर प्रतिक्रिया दिए बिना एक सामान्य सा शपथ पत्र दायर कर दिया। रोहतगी ने कहा कि सरकार की राय में अब बंद हो चुके नोटों को जमा कराने का कोई और मौका नहीं दिया जाएगा। केंद्र के शपथ पत्र में एक मामले का जिक्र है जिसमें याचिकाकर्ता ने 66.80 लाख रुपये मूल्य के पुराने नोट जमा कराने की मांग की है और कहा कि वह इसलिए नोट जमा नहीं करा सका क्योंकि उसका बैंक अकाउंट KYC से जुड़ा नहीं था।
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