दिल्लीवासी भले ही आज भी स्मार्ट टॉयलेट को इतनी प्रायोरिटी न देते हों, लेकिन इसकी चर्चा विदेशों तक है। यहां तक की न्यूयॉर्क में अब दिल्ली की तर्ज पर स्मार्ट टॉयलेट बनाने की मांग तक उठने लगी है। जी हां, न्यूयॉर्क के नागरिकों ने अपने मेयर बिल डे बेलसियो को एक लेटर लिखकर एनडीएमसी की तरह ही स्मार्ट शौचालय बनाने की सिफारिश की है।
वैसे तो न्यूयॉर्क काफी मॉडर्न सिटी है, लेकिन वहां भीड़ भरे इलाकों में शौचालयों की संख्या काफी कम है। देखा जाए तो वहां पब्लिक प्लेस पर 100 से भी कम शौचालय हैं। वहां पर कोई बेस्ट ऐप सुविधा भी मौजूद नहीं है, जिससे ये पता चल सके कि शौचालय कहां पर बने हुए हैं। जबकि एनडीएमसी ने करीब 15 शौचालय विभिन्न जगहों पर बनाए हैं। यहां तक की वे जीपीएस मोबाइल एप से भी कनेक्ट है, जिससे लोगों को विभिन्न जगहों पर इनकी लोकेशन जानने में परेशानी न हो। स्मार्ट शौचालयों में एटीएम, पेयजल, फूड स्टॉल के अलावा मेडिकल सुविधाएं जन-सुविधाएं भी मौजूद हैं।
तत्कालिन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने स्मार्ट शौचालयों को अपने घरों के शौचालयों से बेहतरीन करार दिया था। एनडीएमसी इलाके की करीब 400 शौचालयों को 311 मोबाइल बेस्ट एप सेवा से लैस किया है। मोबाइल एप के जरिए अपने नजदीकी शौचालय का पता आसानी से लगा सकते हैं। इस एप का सबसे अधिक फायदा विदेशी टूरिस्टों को हो रहा है। एनडीएमसी अपने सभी शौचालयों को पीपीपी मॉडल पर बनाया है। एक शौचालय को बनाने में करीब 8 से 10 लाख रूपए खर्च आते हैं।