Sunday, August 27th, 2017
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जानिए प्रोडक्ट पर क्यों होते हैं ये शब्द, क्या होता है इनमें अंतर




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1. रजिस्टर
दुनिया में बहुत ही कम ऐसे लोग होते हैं जो यूनिक या अलग तरह का बिजनेस करने की सोचते हैं। बिजनेस करने का आइडिया हर किसी के दिमाग में आता है अगर आपके दिमाग में भी कोई आइडिया आया है तो उसे ऑफिशियली रजिस्टर करवा दें। तब ये आपके नाम पर पेटेंट हो जाएगा। रजिस्टर होने के बाद आप अपने प्रोडक्ट पर या बिजनेस के साथ R का प्रयोग कर सकते हैं।

ऐसे में उस आइडिया का पेटेंट ही उससे होने वाली कमाई को आपकी जेब तक पहुंचाएगा। पेटेंट को हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि मान लीजिए आपने कोई खोज की या आपने कोई यूनीक प्रोडक्ट बनाया जो पहले किसी के नाम पर रजिस्टर नहीं है। इसे आप यानी अविष्कारक के नाम पर पेटेंट करवा सकते है। इसके बाद एक निश्चित समय तक आपके सिवा उस उत्पाद को न तो कोई बना सकता है और न ही कोई बेच सकता है।

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अगर कोई व्यक्ति आपके इस अविष्कार के साथ बिजनेस करना चाहता है तो पहले उसे आपसे अनुमति और लाइसेंस लेना होगा और साथ ही रॉयल्टी भी देनी होगी। पेटेंट करने वाले व्यक्ति अपने अधिकारों को बेच भी सकता है। किसी भी अविष्कार पर पेटेंट की अवधि निश्चित है जिसे विश्व व्यापार संगठन ने 20 साल तय किया है।

पेटेंट के तहत मशीन, कच्चा माल, कोई प्रोडक्ट, दवाईयां, शूज के डिजाइन, कार्टून कैरेक्टर इत्यादि सुरक्षित कर सकते है। इसके तहत पेड़-पौधों के जरिए तैयार किए गए नई किस्म के पेड़ पौधों को भी प्रोटेक्ट किया जा सकता है। लेकिन याद रखें पेटेंट के तहत प्रकृति के नियम, नेचुरल चीज़ें, मैथमेटिक या फिलॉसफी आइडिया नहीं आते हैं। Next Page पर पढ़ें पूरी स्टोरी

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