अपनी अभिव्यक्तियों के द्वारा सोशल मीडिया पर तूफ़ान मचाते रहने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को पार्टी के चक्रवात में नीचे खिसकना पड़ गया है, उनका डिमोशन करते हुए पार्टी हाई कमान ने उन्हें तेलंगाना के प्रभार से मुक्त कर दिया है। इससे पहले अप्रैल में उनसे गोवा और कर्नाटक की जिम्मेदारी भी वापस ले ली गई थी। इस तरह दिग्विजय के पास अब केवल आंध्र प्रदेश का ही प्रभार रह गया है। राजनीतिक जानकार ताजा घटनाक्रम को पार्टी में दिग्विजय के घटते कद और पार्टी हाई कमान की उनके प्रति नाराजगी के तौर पर देख रहे हैं।
दिग्विजय की इन नाकामियों को काउंट किया गया!
दिग्विजय सिंह करीब 4 साल तक तेलंगाना के प्रभारी रहे हैं। अपने इस कार्यकाल के दौरान सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाया था कि तेलंगाना पुलिस फर्जी इस्लामिक स्टेट वेबसाइट बनाकर मुस्लिम युवकों को फंसा रही है। वहीं, असेंबली चुनावों में खराब प्रदर्शन के लिए भी दिग्विजय पार्टी के गुट के निशाने पर थे। दिग्विजय कुछ वक्त पहले भी सुर्खियों में थे, जब कांग्रेस गोवा की सबसे बड़ी पार्टी होकर भी गोवा में सरकार बनाने में नाकाम रही थी। तेलंगाना का प्रभार छिनने के बाद अब यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या आंध्र प्रदेश दिग्विजय सिंह के पास रहेगा या अब वे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से ही बाहर हो जाएंगे?
कहीं पर कतरने के पीछे मीरा की कैची तो नहीं?
कुछ राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि पूरी तरह से संगठनात्मक बदलाव करने से पहले राहुल गांधी पहले यही चाहेंगे कि कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पहले उनकी ताजपोशी हो जाए। सूत्रों के मुताबिक, दिग्विजय को हटाने का फैसला कथित तौर पर पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के फीडबैक के बाद लिया गया। वे इसी हफ्ते तेलंगाना दौरे पर गई थी, यहां उन्होंने पुलिस उत्पीड़न का शिकार हुए दलितों से मुलाकात की थी।