टैक्स के दायरे में आ सकते हैं ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन
बहुत जल्दी ई-कॉमर्स के ट्रांजेक्शंस टैक्स के दायरे में लाए जा सकते हैं। इस मसले पर बनी सीबीडीटी की कमिटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कमिटी ने डिजिटल सर्विस के लिए 6-8 फीसदी इक्वलाइजेशन टैक्स लगाने की सिफारिश की है। जिन सर्विसेज को इस टैक्स के दायरे में लाया जाएगा उनमें ऑनलाइन मार्केटिंग, विज्ञापन, क्लाउड कंप्यूटिंग शामिल हैं। कमिटी ने 1 लाख रुपए से ज्यादा के पेमेंट पर टैक्स लगाने की सिफारिश की है।
इस नए टैक्स के पीछे वजह है कि विदेशी डिजिटल कंपनियों को घरेलू कंपनियों के मुकाबले ज्यादा टैक्स फायदे मिलते हैं। साथ ही, ऑनलाइन बिजनेस के मुकाबले ऑफलाइन बिजनेस करने वालों को ज्यादा टैक्स देना पड़ता है, जिसकी वजह से उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए सीबीडीटी की कमिटी ने सिफारिश की है कि यूजर्स की तादाद और विज्ञापनदाताओं की संख्या के आधार पर टैक्स लगाया जाए। इसमें इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि कंपनियों को रेवेन्यू कहां से आ रहा है।
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