कानपुर। आईआईटी की पढ़ाई का सपना महंगा होना तय हो गया है। आईआईटी की समिति ने गुरुवार को आईआईटी की सालाना फीस में तीन गुनी बढ़ोतरी का प्रस्ताव को मंजूरी दी है। हालांकि इस बारे में आखिरी फैसला केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को करना है। आईआईटी की पढ़ाई महंगी करने के पीछे वजह बताई गई है कि इससे संसाधनों की कमी को दूर किया जाएगा। 80 हजार रुपए साल की फीस अब ढ़ाई लाख रुपए के करीब हो जाएगी। सूत्रों ने बताया कि आईआईटी के निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों वाले एससीआईसी ने एक बैठक में आईआईटी बांबे के निदेशक देवांग खाखर की अध्यक्षता वाली उप-समिति द्वारा पहले पेश की गई रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।
समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि स्नातकोत्तर के छात्रों की फीस भी महंगी करने का विचार किया जाए, क्योंकि वे फेलोशिप पर पढ़ाई कर रहे हैं। समिति ने हर छात्र को विद्यालक्ष्मी स्कीम के तहत ब्याजमुक्त शिक्षा के लिए कर्ज देने का सुझाव भी दिया है। बीते दिनों आईआईटी निदेशक प्रो. इंद्रनील मन्ना ने भी कहा था कि आईआईटी की फीस बढ़ाने पर विचार हो रहा है और इस वर्ष फैसला हो जाएगा। प्रो, मन्ना ने कहा कि फीस बढ़ोत्तरी का शुरुआत विदेशी छात्रों से होगी। इससे मंत्रालय और आईआईटी की आय बढ़ेगी। दूसरे देशों की अपेक्षा भारत में फीस काफी कम है।
अब आईआईटी में ज्यादा विदेशी छात्र पढ़ सकेंगे। इससे आईआईटी का कद विदेशी पटल पर बढ़ेगा और आईआईटी की कमाई भी बढ़ेगी। आईआईटी की बीओजी ने शनिवार को विदेशी छात्रों की सीटें बढ़ाने का फैसला लिया गया। निदेशक प्रो. इंद्रनील मन्ना ने बताया कि आईआईटी संसाधन बढ़ाने के लिए विदेशी छात्रों की सीटें करीब 20 फीसदी बढ़ाने जा रहा है। अभी तक 61 विदेशी छात्र पंजीकृत है, इन छात्रों को शिक्षा अब सब्सिडी की दरों पर नहीं मिलेगी। इनकी शिक्षा देश के छात्रों से महंगी होगी। इसके लिए नया स्लैब बनाया जाएगा, इससे आईआईटी की आय बढ़ेगी।