शत्रु संपत्ति विधेयक राज्यसभा में हुआ पास, जानिए ख़ास बातें
क्या है शत्रु संपत्ति विधेयक
शत्रु संपत्ति विधेयक कानून कोई आज का कानून नहीं है इसका रिश्ता उस समय से है जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था। विभाजन के समय सन 1965 व 1971 में पाकिस्तान तथा 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद बहुत से लोग भारत छोड़कर चले गए और दूसरे देशों की नागरिकता ले ली। उन लोगों की संपत्ति पर सरकार के कब्जे के लिए लाया गया कानून ‘शत्रु संपत्ति विधेयक’ हैं
क्यों पड़ी आवश्यकता
साल 1957 में महमूदाबाद के राजा भी भारत छोड़कर चले गए थे। बाद में उनकी संपत्ति को पाने के लिए उनके वारिसों ने 32 सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। अंततः साल 2005 में उन्होंने इस केस को जीत लिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब बहुत सी शत्रु संपत्तियां विवादास्पद हो गई हैं। भारत सरकार इन विवादों को समाप्त करके भारत-पाक विभाजन के बाद पलायन किए गए लोगों की संपत्तियों को अपने कब्जे में लेना चाहती है जो इस कानून के जरिए संभव होगा।
विदेशों में भी है चलन
शत्रु संपत्ति कानून का चलन विदेशों में भी है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन में जर्मन सरकार या उनके नागरिक की जो संपत्ति थी उसे शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। भारत के बंटवारे के बाद विस्थापितों की संपत्ति से संबंधित कानूनों ने इसकी नींव रखी। 1947 में जब सीमा पार करके लाखों विस्थापितों की भीड़ भारत आने लगी, तो उनके पुर्नवास के लिए ऐसा कानून बनाया गया।
यह तय किया गया कि जो लोग देश में अपनी संपत्ति और घर छोड़कर दूसरे देश में चले गए हैं उनके पुर्नवास के लिए ऐसी संपत्तियों का उपयोग किया जाए। ऐसी संपत्ति के संरक्षण और देखभाल के लिए ‘ऑफिस ऑफ द कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी’ विभाग बनाया गया। पाकिस्तानी नागरिकों की जब्त संपत्ति में से सर्वाधिक यूपी में है।
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