चादर और प्रसाद से नहीं जूतों से पीटकर मांगते दुआ
किसी भी मज़ार या मकबरों पर आपने अक्सर लोगों को दुआ मांगते देखा होगा। ख़ुदा उनकी दुआ कबूल करे इसके लिए वे वहां पर चादर, फूल भी चढ़ाते हैं। लोगों को उनके ख़ुदा, उनके भगवान में गहरा विश्वास होता हैं। किसी भी मज़ार, दरगाह, मंदिर आदि पर जाने से पहले जूते और चप्पलों को बाहर उतारा जाता है। लेकिन एक मकबरा ऐसा है जहां पर दुआ मांगने का तरीका कुछ अलग है।
लोग अक्सर मजारों और मकबरों पर फूल और चादर चढ़ाकर दुआ मांगते हैं लेकिन एक मकबरा ऐसा भी है जहां पर लोग फूल और चादर नहीं चढ़ाते हैं बल्कि जूते और चप्पलों से मजार को पीटते है और दुआ मांगते हैं। कभी अपने सुना हैं कि यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए किसी कब्र को जूता मारना पड़ता हो लेकिन बता दें कि यूपी के इटावा में स्थित ‘चुगलखोर का मकबरा’ में ऐसा होता है। यहां ज्यादातर वो लोग इबादत करते हैं जो इटावा-फर्रुखाबाद-बरेली मार्ग से जा रहे होते हैं।
सुरक्षित यात्रा के लिए मन्नत मागने के लिए कब्र पर जूते मारकर जाते है। कहते हैं कि इस मार्ग पर यात्रा के दौरान भूतों का साया होता है। सुरक्षा के लिए इस पांच सौ साल पुराने मकबरे पर इबादत की जाती है। एक स्थानीय युवक इकबाल ने बताया कि खुद को और अपने परिवार को भूतों से बचाने के लिए भोलू सईद की कब्र पर जूते मारे जाते हैं।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार इटावा के बादशाह ने अटेरी के राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। बाद में इटावा के बादशाह को पता चला कि इस युद्ध के लिए उसका दरबारी भोलू सैय्यद जिम्मेदार था। सैय्यद की मौत के बाद से ही उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा चली आ रही है। इससे नाराज बादशाह ने ऐलान किया कि सैय्यद को इस दगाबाजी के लिए तब तक जूतों से पीटा जाए जब तक कि उसका इंतकाल न हो जाए। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपनी तथा परिवार की सुरक्षित यात्रा के लिए सैय्यद की कब्र पर कम से कम 5 जूते मारना जरूरी है।
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