क्या EVM में हैकिंग संभव है ??
EVM से वोटिंग की प्रोसेस
EVM को चुनाव से पहले स्ट्रॉग रुम में रखा जाता है। जांचने का काम उम्मीदवार या पोलिंग एजेंट की निगरानी में होता है। वोटिंग के कुछ दिनों पहले मॉक टेस्ट किया जाता है जिसमें उम्मीदवार या उनके एजेंट उपस्थित होते हैं। इसके बाद EVM को सील कर दिया जाता है और उम्मीदवार या उनके एजेंट चाहे तो सील पर अपने हस्ताक्षर भी कर सकते हैं। रिटर्निंग अधिकारी मशीन को स्ट्रॉग रुम में रख देते हैं। उम्मीदवार चाहे तो स्ट्रॉग रुम के बाहर पहरेदारी भी कर सकते हैं उसके बाद वोटिंग वाले दिन उन्हें पोलिंग बूथ तक पहुंचा दिया जाता है। खास बात यह है कि EVM को भेजने का कोई क्रमांक नहीं होता है उन्हें रेंडम तरीके से भेजा जाता है। EVM को लाने से लेकर स्ट्रॉग रुम में रखना और वोटिंग के लिए बूथ पर सेट करने की पूरी प्रक्रिया कैमरे में कैप्चर कि जाती है। इतनी कड़ी प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी यदि EVM से छेड़छाड़ जैसे सवाल उठाए जा रहे हैं तो सोचने वाली बात है।
खैर इस मुद्दे पर कई सवाल उठ रहे हैं और आने वाले दिनों में और भी चर्चा होगी जिसका परिणाम क्या आएगा यह तो समय आने पर ही पता चलेगा। विपक्ष और जनता कि तो एक ही मांग है, उन्हें इसकी सच्चाई का सबूत चाहिए। उनका एक ही सवाल है, जिस तरह देश की बड़ी-बड़ी एजेंसियों और सिक्योरिटी सिस्टम में हैकिंग हो जाती है तो क्या EVM में भी हैकिंग संभव है?
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