रेप केस में आरोपी की उम्र घटाने वाले EX चीफ़ जस्टिस नहीं रहे
रेप के मामलों में ऐतिहासिक फ़ैसला देने वाले पूर्व चीफ़ जस्टिस अल्तमस कबीर का 68 साल की उम्र में रविवार को निधन हो गया। जस्टिस कबीर लम्बे समय से बीमार थे। तबीयत बिगड़ने की वजह से 8 फरवरी को उन्हें कोलकाता के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उन्होंने आज दम तोड़ दिया। बता दें कि जस्टिस पी. सदाशिवम के बाद वह सुप्रीम कोर्ट के 39 चीफ़ जस्टिस बने थे। न्यायमूर्ति कबीर 29 सितंबर, 2012 को प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे। वह 19 जुलाई, 2013 को सेवानिवृत हुए थे।
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कैसा रहा जस्टिस कबीर का करियर
-जस्टिस कबीर का जन्म 19 जुलाई, 1948 में हुआ था। उन्होंने 1973 में वकील के रूप में पंजीकरण हासिल किया और जिला न्यायालयों एवं कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकालत की।
-6 अगस्त 1990 में वह कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किए गए थे। उसके बाद 1 मार्च 2005 को उन्हें झारखंड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।
-9 सितंबर, 2005 को वह हाईकोर्ट के जज बने। महज़ सात साल बाद ही उन्होंने भारत के 39 वें प्रधान न्यायाधीश की कमान संभाल ली।
-सुप्रीम कोर्ट में अपने आठ साल के करियर में जस्टिस कबीर ने 681 ऑर्डर और फ़ैसले दिए जिनमें रेप केस में जुवेनाइल की उम्र घटाना और मेडिकल-डेंटल कोर्स में दाखिले के लिए नीट लागू करना अहम हैं।
-बता दें कि दिसंबर, 2012 को हुए दिल्ली गैंगरेप (निर्भया केस) के बाद जस्टिस कबीर ने ही जुवेनाइल एक्ट में संशोधन करते हुए एडल्ट की एज लिमिट 18 से घटाकर 16 करने का ऑर्डर दिया था।
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-इतना ही नहीं 18 जुलाई, 2013 को अपने आखिरी फैसले में जस्टिस कबीर ने मेडिकल और डेंटल काउंसिल के नोटिफिकेशन को दरकिनार करते हुए NEET (नेशनल एलिजिबिलटी एंट्रेस टेस्ट) को लागू करने का ऑर्डर दिया था।