कई स्टूडेंट्स एक्ज़ाम टाईम में घबरा जाते हैं। खान-पान से लेकर रहन-सहन तक उनमें कई बदलाव है जो, परीक्षा के समय स्टूडेंट्स के व्यवहार में देखें जाते है। ऐसे व्यवहार को एक्ज़ाम फ़ोबिया भी कहा जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर यही व्यवहार आपने अपने ,आप में देख़े गये हो तो इन ख़ास बातों का ध्यान रख़े –
ब्रेक और पढ़ाई
एग्जाम टाइम में अक्सर स्टूडेंट लगातार पढ़ते रहते है। लेकिन ऐसा करना सही नहीं है। लगातार पढ़ते रहने से आपको थकान और बोरियत महसूस हो सकती है। आप चाहे तो पढ़ाई के बीच में ब्रेक लेते रहे। ब्रेक से मतलब़ ये नहीं की घण्टों तक पढ़ाई करने के बाद घण्टों तक पढ़ाई न करना। बल्कि पढ़ाई के बीच में छोटे-छोटे ब्रेक जैसे टहलना या कुछ खा लेना चाहिए, जिससे दिमाग में पढ़ाई का बोझ भी नहीं होता और जो पढ़ा हुआ दिमाग में उतर जाता है।
परिणामों का डर
अक्सर स्टूडेंट के माइंड पर ये प्रेशर होता है कि उन्हें एग्जाम में अच्छा स्कोर करना है। एग्जाम टाइम में पैरेंट्स भी बच्चों पर इस बात को लेकर प्रेशर डालते है। कई बार तो स्टूडेंट्स डिप्रेस भी हो जाते है। जो कि ठीक नहीं है बच्चो को हमेंशा प्रोत्साहित करना चाहिए।
टाईम मैनेजमेंट
एग्जाम टाइम एक ऐसा टाइम है जब आपको टाइम मैनेजमेंट की सबसे ज़्यादा जरूरत होती है। इसलिए एग्जाम टाइम के दौरान पढ़ाई, खेलने और अन्य काम का टाइम टेबल बना लेना चाहिए जिससे कि सही समय पर आपके काम हो सके और आप सही तरीके से पढ़ाई भी कर सके।
ब्रेन चार्ज टाईम समझें
हर व्यक्ति के ब्रेन में एक निश्चित समय (पहर) होता है, जैसे सुबह, शाम, रात, दोपहर। इसमें पेरेन्टस भी ये समझें कि उनके बच्चे का दिमाग सबसे ज्यादा सक्रिय कब रहता है। उस वक़्त बच्चे को सबसे टफ़ सब्जेक्ट पढ़ने की सलाह दें।
डाइट का ख़ासा ख्याल रख़ें
एक्ज़ाम टाइम में स्टूडेंट्स को अपनी डाइट का भी अच्छी तरह ध्यान रख़ना चाहिए। ऐसा न हो कि एग्जाम के दिन आपकी तबीयत ख़राब हो जाए। एग्जाम के टाइम से पहले से ही हैल्थी खाना खाए, ज़्यादा आइली खाना आपकी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।