Tuesday, August 8th, 2017
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10 नए कॉलेज और 2 करोड़ नौकरियाँ, मोदी- केजरीवाल सरकार के बीच उलझ गईं




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“मैं भी एक युवा हूँ और मेरे भी कुछ सपने हैं, इन सपनों को लेकर जब हम आगे बढ़ते हैं, तो हमें हर उस चीज़ से हार नहीं माननी चाहिये, जो हमारे रास्ते की बाधा है इस युवा विचारधारा को लेकर, दिल्ली NSUI के अध्यक्ष और युवा नेता अक्षय लाकरा छात्रों के लिए लगातार काम कर रहे हैं। Youthens News से हुई उनकी बातचीत में उन्होंने युवाओं और छात्रों से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी और साथ ही हमारे द्वारा युवाओं को अपना प्रेरणादायक संदेश दिया।

Youthens News टीम से Priya Raja Bundela द्वारा किये गए उनके साक्षात्कार के संपादित अंश इस प्रकार हैं :-   

प्रश्न – छात्र इतने गुस्से में क्यों है? देश में अभी वर्तमान में छात्र आन्दोलन, छात्र हड़तालें और यहाँ तक कि हिंसक घटनाएं भी बहुत ज्यादा देखने को मिल रही हैं। तो क्या छात्र आन्दोलन के विषयों से भटक रहे हैं?

अक्षय लाकरा- छात्र कभी भटके हुए नहीं होते। आप इतिहास उठा कर देख लो फिर वो यूरोप का हो या किसी भी महाद्वीप का, जितने भी बड़े आन्दोलन हुए हैं उन सब में छात्रों का योगदान रहा है। हमारे देश में भी स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर अन्ना हजारे जी का आन्दोलन हो तब भी छात्र आये थे, या फिर निर्भया केस में उस बात को इंडिया गेट पर उठाने की बात हो तब भी छात्र आगे आये थे।

2014 से अभी तक अगर देखा जाए तो FTII, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित बेमुला का केस, उसके बाद JNU फिर रामजस,  तो जितने भी मुद्दे हैं, तो इनके लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि ये सब प्रोपोगेट किये गए थे या फिर किसी ने इन्हें इनिसिएट किया है। ये छात्रों की आवाज थी, और जब छात्र किसी मुद्दे को लेकर अपनी आवाज उठता है तो कोई न कोई उसे दबा रहा होता है। छात्र की आवाज दबाने वाली ताक़तें, चाहे वो सरकार हो या उसकी अपनी यूनिवर्सिटी हो, वो same केस FTII में देखा गया, जिस तरीके से चीजों को impose किया गया। हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला के केस में भी, उसके बाद JNU में जो हुआ वहां छात्रों ने अपनी आवाज उठाई और वहां हर साल एक नया प्रेसिडेंट बनता है लेकिन लोगो को आज JNU कन्हैया कुमार की वजह से याद रहती है। रामजस की बात हो तो वहां भी ऐसी ही घटनाएं हुई।

तो फिलहाल बात ये है कि ये सब कुछ अचानक क्यों हो रहा है, ऐसा क्या आन पड़ा है अचानक कि ऐसी वारदाते इतनी बढ़ गई हैं। तो इनके पीछे स्पष्ट कारण ये है कि जिस तरीके से सरकार ने 55% एजुकेशन बजट को कम किया है 2014 के बाद, ये पहली सरकार आई है जिसने एजुकेशन बजट बढ़ाने के बजाय कम कर दिया है। P.hd, MPhil और मास्टर्स की सीटें जिस तरीके से कम की जा रही हैं, JNU और DU में पहली बार ऐसा हुआ है की सीटें कम की गई हैं और फ़ीस बढ़ा दी गई है।

आज के छात्रों के लिए Job oppotunity ख़त्म हो चुकी हैं। Campus placement ज़ीरो के करीब हैं। मोदी सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरियाँ देने की बात कही थी जिसमे वो विफल रहे हैं। तो जब छात्रों के पास नौकरी नहीं होगी, बच्चों का कॉलेज में दाख़िला नहीं होगा, कुछ करने को नहीं होगा तो कहा जायेंगे ये सब? तो इसी वजह से कही ना कहीं लोग अपनी आवाज़ उठाते हैं।

सरकार सिर्फ उनकी आवाज़ दबा नहीं रही है उनका जीवन भी बरबाद कर रही है उदाहरण के तौर पर रोहित वेमुला का केस जो एक तरीके से attempted या plan murder था। फिर JNU के अन्दर जो कुछ हुआ उसे 1 साल हो गया है कोई दोषी नहीं पकडें गए और ना पुलिस ने चार्ज-सीट दाखिल की, अनजाने लोगो के खिलाफ FIR लिखी गई है वहां। तो यही सारे कारण हैं कि छात्र उत्तेजित हो रहे हैं आन्दोलन करने के लिए, और सरकार के खिलाफ जा रहे हैं, और यह इतिहास है दुनिया का कि जब जब छात्र सड़कों पर उतरा है तो अपना हिसाब कर के ही अपने घरों को लौटा है।

प्रश्न- JNU में हुए Anti national sloganeering का मामला हो या फिर students के साथ किया जाने वाला व्यवहार हो, जयपुर के चुनावों में student आपस में टकरा गए, उसके पीछे के क्या कारण हैं? या कौन लोग हैं?

अक्षय लाकरा-ये सब राजनैतिक पार्टियों का काम है, जिस तरीके से वो अपने मुद्दों को Provok करते हैं, फिर वो JNU का मुद्दा हो जहाँ नारे लगाने की बात कही गई थी, तो वो आज तक पुलिस भी नहीं ढूंढ पाई की नारे लगे भी थे या नहीं। रामजस के केस में भी कोई पक्के सबूत पुलिस नहीं खोज पाई। तो ये लोग पूरी तरह से फेल रहे हैं कुछ भी संगीन और महत्वपूर्ण खोजने में जो इन सब मुद्दों को  साबित कर सके।

प्रश्न- Ramjas college में फीस को बढ़ने का जो मामला था उसके खिलाफ आपका सक्रीय योगदान था, बाकी के college जो मनमानी फीस वसूल रहे हैं उनके लिए क्या कहेंगे या करेंगे?

अक्षय लाकरा- रामजस केस में बात सिर्फ मनमानी फीस की नहीं थी, हमारी लड़ाई इस मुद्दे के साथ 25 करोड़ घोटाले की भी थी। रामजस कालेज ने 2017 में अपने 100 वर्ष पूरे किये हैं, मेरे दादा जी ने वह से ग्रेजुएशन किया था, और जिस कालेज के लिए खुद देश के राष्ट्रपति महामहिम प्रणव मुखर्जी जी ने वहां के प्रिंसिपल और स्टाफ को बुलाया था, तो पहली बात कि उस मीटिंग में गए deligation में छात्र संगठन की तरफ से एक भी छात्र नहीं था और दूसरी कि हम आज भी रामजस के प्रशासन से ये बात जानना चाहते हैं कि 25 करोड़ रूपये कहा गए?

रामजस में फीस बढ़ने का कारण ये है कि कॉलेज का खजाना खाली हो चुका है तो खाली खजाने को भरने की ज़िम्मेदारी छात्रों की है क्या? और जो भरा हुआ था 25 करोड़ वो इन लोगो ने infrastructur devlopment और बाकी चीजों के नाम पर खर्च किया। 35 लाख तो सिर्फ मेडिकल रूम के नाम पर खर्च किये गए लेकिन अगर वहाँ जा कर देखो तो पैरासिटामोल की गोली भी नहीं मिलेगी। रामजस में थोड़ी बहुत नहीं सीधे सीधे 25% फीस बढ़ाई गई है। DU के किसी भी कॉलेज में इतनी फीस नहीं बढ़ी है। जो एनुअल फीस बढ़ाई गई है बाकी के कॉलेज में वो 5 से 10% है और उसके पीछे साल दर साल होने वाले devlopment, ज्यादा बच्चों के प्रवेश, टीचर्स की तनख्वाह ये सब कारण होते हैं।

आपको बताऊँ कि रामजस फीस बढ़ने के साथ साथ DU के सभी होस्टल्स की फीस भी बढ़ी है, DS कोठारी होस्टल की फीस तो लगभग 100% बढ़ाई गई है और 1100 से बढ़ा कर 2300 रुपए कर दी गई है। ऐसे फीस बढ़ने के पीछे का कारण यह है कि UGC की ग्रांट ख़त्म हो चुकी है और कॉलेजों और होस्टलों को ये हिदायत दी गई है कि वो खुद को ऑटोनोमस बनाएँ और सेल्फ फाइनेंस करे। अब जब कॉलेज सेल्फ फाइनेंस हो रहे हैं तो HRD और UGC का जो फंड आता है वो सरकार काट रही है। इसका मतलब तो यही हुआ।

अभी दो हफ्ते पहले DU का 151 करोड़ का फंड जो था वो UGC को वापस गया क्योकिं DU में पांच साल तक उस पैसे को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया, तो इनके पास जब बचा हुआ पैसा है और कालेजों को ग्रांट नहीं कर रहे हैं तो फीस बढ़ा रहे हैं और इसके पीछे इस बात का हवाला दे रहे हैं कि 2 महीने पहले जो प्रिंसिपल था उसने 25करोड़ खाली कर दिए, तो ये बच्चों की फीस बढ़ाएंगे। आख़िर में सिर्फ स्टूडेंट ही विक्टिम बनता है। किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में होने वाली ऐसी किसी भी चीज की संभावना को भी हम कम करेंगे और छात्रों को संरक्षित करेंगे।

प्रश्न- Skillful बनाने का  जो काम skill india के तहत हो रहा है उसके बारे में क्या कहेंगे?

अक्षय लाकरा- स्किल इंडिया हुआ, मेक इन इंडिया हुआ ये सब बुरी तरह से फेल योजनायें हैं। मोदी सरकार इन सब योजनाओं को जो मेकअप करके project कर रही है लोगों के सामने, तो मैं जानना चाहूँगा कि DU में कितनी सीटे बढ़ाई, कितनी स्किल वर्कशॉप हुई, कितने जॉब के मौके बढ़ाये गए, कितनी employment genration हुई? जहाँ तक बात है स्किल ट्रेनिंग की तो पूरे देश के कितने कॉलेजों में कितनी स्किल ट्रेनिग हुई? क्या आज से पहले वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर नहीं थे, क्या आज से पहले स्किल ट्रेनिंग सेंटर नहीं थे? स्किल इंडिया नाम से  थीम का नाम बदल कर प्रोजेक्ट कर रही है मोदी सरकार। जो बिलकुल सही नहीं है। जो स्वच्छ भारत अभियान है वो अभी का नहीं है, आज से 10 साल पहले निर्मल भारत के नाम से डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे लाँच किया था। तो मोदी सरकार इस प्रकार से नाम बदलकर योजनाओं को लागू कर रही है।

अगर मेक इन इंडिया की बात करें तो हमारा इम्पोर्ट तो बढ़ रहा है एक्सपोर्ट कम हो रहा है तो कहाँ मेक इन इंडिया है। देश में सरदार वल्लभभाई पटेल का स्टेच्यू लगना है जिसकी कुल लागत 3200 करोड़ है वो  बन कर तो चाइना से आएगा, तो कहा है मेक इन इंडिया फिर।

प्रश्न- DUSU में ABVP लगातार तीन साल से काबिज है, उसके बाद भी वो कौन से काम हैं जो अभी तक पूरे नहीं किये गए हैं या इलेक्शन के टाइम पर जो प्रोमिसिस किये गए हो और पूरे नहीं हुए हो छात्र हित में?

अक्षय लाकरा- DU में 2013 से 2017 तक लगातार ABVP का अध्यक्ष काबिज रहा है, लेकिन मैं ये पूछता हूँ कि DU में वो प्रोग्राम जो हर साल छात्र संगठन कराता है, वो कितने हुए हैं अभी तक? जैसे कैम्पस प्लेसमेंट ड्राइव, स्पोर्ट्स इवेंट, स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग, डिबेट या और भी इवेंट्स जो छात्रों के लिए होते हैं क्यों नहीं करवाए जा रहे हैं?

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ABVP वाले जो इवेंट्स करवाते हैं उनमे वो भाजापा के लोगों को गेस्ट के रूप में बुलाते हैं। अभी  सुब्रमण्यम स्वामी को इनवाइट किया गया और इवेंट के नाम पर वहां राम मंदिर पर कांफ्रेंस की गई, और छात्र संगठन का जो फंड था उसे मिसयूज किया गया। DUSU के फंड का पिछले दो सालो में ज्यादातर खर्चा चाय पर किया गया है, और यह तरीका है उनका DUSU के फंड को खर्च करने का। They are completely lost it.

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इन्होने दौलत राम कॉलेज में poster लगाये की वो शांति से प्रिंसिपल के खिलाफ आन्दोलन कर रहे हैं लेकिन अगर टाइम्स ऑफ़ इंडिया में आई खबर को देखा जाए तो वहाँ पर इन लोगो ने गमले तोड़े, तो इस तरह से ये लोग शांति से आन्दोलन करते हैं? असल में यही इनका तरीका है जिससे छात्र बिलकुल तंग आ चुका है, इसी तरह से तोड़-फोड़ लॉ फैकल्टी में भी की गई। ये लोग जिस तरह अपने अभद्र बयान देते हैं, लड़कियों के साथ रामजस केस में जैसे छेड़खानी हुई। और जिस तरह पिछले तीन साल से DUSU का जो 20 लाख का बजट आ रहा है ABVP मिल कर उसकी चाय पी रही है राम मंदिर की कांफ्रेंस करवा रही है, वह पूरी तरह गलत है।

3 साल के अन्दर क्यों एक भी जॉब फेयर नहीं लगवाया गया जो पिछले कई सालो से DUSU में लगते आ रहा है क्यों ABVP भूल गया इसको लगाना।

DU में कोई मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च नहीं है, क्योंकि यहाँ पर हर धर्म-जाति के और देश के हर कोने से छात्र पढ़ने आते हैं और यहाँ पर ऐसा कोई भेदभाव नहीं है। DU में फंडामेंटल राईट सेकुलरवाद को पूरी तरह से लागू किया जाता है। तो क्यों ABVP वहाँ पर हिंदुत्व की बात करती है और धर्म भक्ति और राष्ट्रभक्ति, देश विरोधियों के नाम पर वोट मांगती है?

ABVP से अगर पूछा जाए कि आप अपने किये हुए कोई पांच काम गिनवा दो इन पांच सालो में जो किये हो, तो उनके पास कुछ नहीं है बताने को।

आपने मुझसे प्रश्न किया था कि इन सब के पीछे कौन लोग हैं तो JNU में जो हुआ वहां पर FIR करवाने के लिए BJP के M.P महेश गिरी आते हैं उनको क्या जरुरत थी, कि वो JNU के मुद्दे पर FIR  करवाने आयें। तो जिस तरह से सिर्फ हिंदुत्व का मुद्दा लेकर ये लोग यूनिवर्सिटी में उतर रहे हैं वो बिलकुल सही नहीं है। ये सिर्फ छात्र संगठन और छात्र एकता को बरबाद कर रहे हैं। I am using very strong words that, people of ABVP are not eligible, actually they are non electable.

हम बाहर से पढ़ने आने वाले छात्रों के लिए होस्टल की मांग करते हैं, और उन बच्चों की डिमांड होती है होस्टल की, लेकिन अभी मैं यहाँ दिल्ली विश्वविद्यालय में हूँ और आप से बात कर रहा हूँ और मेरे सामने एक फ्लेक्स लगा है जिसमे DUSU की वाईस प्रेसिडेंट प्रियंका छावरी है जो उस फ्लेक्स में एक प्राइवेट पी.जी. को एंडोर्स कर रही है। तो जो लोग खुद एक प्राइवेट पी.जी. का प्रचार कर रहे हैं तो उनसे छात्र कैसे एक्स्पेक्ट कर सकते हैं कि वो छात्र हित में होस्टल की मांग करेंगे। इन दिनों ABVP पूरी तरह से निंदनीय कार्य कर रही है, वो जो कहते हैं वो करते नहीं हैं और यही ABVP का तरीका है।   

प्रश्न-  NSUI के नए president Firoz khan बने हैं तो वो क्या नया vision ले कर आये हैं ?

अक्षय लाकरा- विजन पूरी तरह से साफ़ है। इलेक्शन की प्रोसेस पूरी तरह से ओपन थी, देश के सभी छात्र नेताओं के लिए। करीब 2500 लोगों ने अप्लाई किया था जिनमें फर्स्ट इयर के स्टूडेंट भी शामिल थे। इतने लोगो में से 18 को चुना गया और इन 18 लोगों का इन्टरव्यू खुद राहुल गांधी जी ने लिए थे फिर उन्होंने फिरोज खान जी को चुना, जो NSUI के अभिन्न अंग हैं, वो एक छात्र नेता रहे हैं और वो जम्मू के एक छोटे गाँव से आते हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनैतिक भी नहीं है। उन्हें राहुल गांधी जी द्वारा NSUI, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक छात्र संगठन है, जिसमे हर एक पद एलेक्टेबल है, वहां पर उनको चुना गया है। उनके साथ मेरा पर्सनल अनुभव 2012 से है मैं उनको तब से देखते हुए आ रहा हूँ और उनका सिर्फ एक ही विज़न है कि हम सिर्फ दिल्ली ही नहीं, पूरे के पूरे हिंदुस्तान में हर कॉलेज के हर क्लास रूम तक हम पहुंचे और यही योजना है और ये योजना इसलिए है क्योकिं india is an old country but we are young nation और ये शब्द राजीव गांधी जी के हैं हमारे देश में आज भी 60% जनता युवा है। और इसीलिए हम उनसे मिलकर उनसे बात कर के देश को आगे ले जाना चाह रहे हैं। और फिरोज खान जी का चुनाव बहुत सही किया गया है क्योकिं उनका जो अनुभव है देश के अलग अलग कोनों में काम करने का, फिर वो दिल्ली विश्वविद्यालय हो या उत्तर प्रदेश, उन्होंने सभी जगह काम किया है। और उनका जो विज़न है वो आप आने वाले दिनों में देखेंगे।

प्रश्न- अंत में आपने दिल्ली में क्या मिशन तय किया है, जो यूथ के बेटरमेंट के लिए है?

अक्षय लाकरा- मैं इसी साल मई में, 2 मई को अध्यक्ष बना और मैं सिर्फ दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही नहीं देश के एक एक कॉलेज में जाना चाहता हूँ, जिससे सभी जगह के छात्रों की परेशानियों का हल निकाल सकूँ। जो कुछ भी दिल्ली में या देश में हो रहा है वो केजरीवाल जी की गलतियाँ और नरेन्द्र मोदी जी, जो केन्द्रीय सरकार चला रहे हैं उनकी गलतियाँ हैं, जो आज छात्र परेशान है।

अगर केजरीवाल जी ने वादा किया था कि वो हर साल 10 नये कॉलेज बनायेंगे, तो वो अपने वादे को पूरा करने में फेल रहे है। नरेन्द्र मोदी जी ने वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां लगेंगी उसमे वो विफल हैं, जिस पर माननीय सुप्रीमकोर्ट ने फटकार लगाई है कि जॉब की संभावनाएं निचले स्तर तक जा रही हैं।  तो इन सब मुद्दों को लेकर हम दिल्ली के छात्रों के बीच में जायेंगे और उन्हें बताएँगे की क्या हो रहा है, सिर्फ आरोप प्रत्यारोप का जो खेल खेल रही हैं दोनों सरकारें वो सही नहीं है इससे दिल्ली का छात्र परेशान है। अगर छात्र ऐसे ही परेशानियों के बीच पिसता रहा तो हम अपने ही संसाधनों को ख़त्म कर देंगे जो बहुत बड़ा नुकसान होगा देश के लिए।

सर आप क्या संदेश देंगे युवाओं को हमारे द्वारा  

अक्षय लाकरा- मैं इस लाइन से शरू करूँगा कि India is an old country but we are young nation… और मैं भी एक युवा हूँ और मेरे भी कुछ सपने है, इन सपनों को लेकर जब हम आगे बढ़ते हैं तो हमें हर उस चीज़ से हार नहीं माननी चाहिये जो हमारे रास्ते की बाधा है जैसे कि शायद हमारा दाख़िला नहीं होगा या हम किसी चीज़ के लिए सक्षम हैं या नहीं हैं या फिर हमारे लिए जॉब की संभावनाएं हैं ही नहीं।  इस चीज़ से ऊपर उठ कर हम लोगो को शायद खुद के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए और अपने कमरे में बैठ कर फेसबुक पर अपना गुस्सा निकालना सही रास्ता नहीं है, हमें जरुरत है ज़मीनी स्तर तक आने की और लोगो से मिलने की और उस हकीक़त का सामना करने की, जो सच में हो रहा है। हमें खुद में विश्वास रखना चाहिये फिर कोई भी परिस्थिति रही हो। मैंने खुद DU से इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की है पर मैंने छात्र राजनीति को चुना, मैं कैम्पस प्लेसमेंट के लिए जा सकता था और उसके बाद mba कर के 6 लाख के पैकेज पर किसी MNC में अच्छी जॉब कर रहा होता लेकिन मैं वो नहीं करना चाहता था और मैं तो अपने पिता के बिजनेस को भी ज्वाइन नहीं करना चाहता। मैं बस इस देश के छात्रों और युवाओं के हित में काम करना चाहता हूँ।  मैंने बहुत ही बुनियादी तौर पर अपनी शुरुआत की थी, सबसे पहले कॉलेज फिर मेरी यूनिवर्सिटी और फिर मेरे राज्य और अब मैं पूरे देश में जाऊँगा। हर युवा को ये बात समझनी पड़ेगी कि जब तक आप सड़क पर लड़ के अपने हक़ की मांग नहीं करेंगे तब तक कुछ नहीं होगा। तो हमें अपने हक़ के लिए लड़ने की जरुरत है। And that is the spirit, how young nation that india will survive, with this tenure this dark ages. That’s how they will success.

Youthens news की टीम की हमेशा ये कोशिश होती है कि युवाओं को उनसे जुड़े मुद्दों की जानकारी दी जाए. साथ ही हम प्रयास करते हैं देश के युवा को, उन युवाओं से जोड़ने की जो आज अपने अपने क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्यरत हैं और युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए हैं. और इसी कोशिश का हिस्सा है, NSUI के दिल्ली अध्यक्ष अक्षय लाकरा जी का साक्षात्कार  

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