अक्यर ये देखा जाता है कि शादी-बयाह, जनसभाओं ओर आदि कई आयोजनों में लोग परंपरा का हवाला देते हुए फायरिंग करते हैं। लेकिन अब लोगों की इस परंपरा पर सरकार ने रोक लगा दी है। अब शादी, धार्मिक जुलूसों, मेले , रैलियों और जनसभाओं में पिस्तौल और बंदूक से फायरिंग नहीं कर सकेंगे। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ये अहम निर्देश सुनाया है।
दरअसल, बागेश्वरर में 21 अप्रैल 2007 को एक शादी के मौके पर फायरिंग करने से दो लोगों की मौत हो गई थी और अन्य लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद आरोपी भगवान सिंह के खिलाफ सत्र न्यायलय में मामला चला और अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता धारा 302 के 307 के तहत दोषी पाया। अदालत ने 25 हजार जुर्माने के साथ उम्र कैद की सजा सुनाई। बाद में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा घटाकर पांच साल कर दी।
आज इस मामले की सुनवाई अदालत में हुई है, जिसके तहत अब पिस्तौल से फायरिंग करने पर सख्त पांबदी लगा दी गई है। न्यायलय ने अपने आदेशों में 21 साल के व्यक्ति को ही लाइसेंस जारी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पांच साल की सजा भुगत चुके व्यक्ति को भी लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
इस घटना के लिए आरोपी ने कहा था कि घटना को जानबूझकर अंजाम नहीं दिया गया है। जबकि दूसरे पक्ष की तरफ से इसका विरोध किया गया और इस मामले में 16 गवाह पेश किए गए। खंडपीठ ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद आरोपी की सजा को बरकरार रखा है।