पहली मस्जिद, जहां न आवाज़ होगी और न ही लाउडस्पीकर
कुछ ही दिन बीते हैं जब सोनू निगम ने ट्वीट किया था कि उन्हें मस्जिद में होने वाली नमाज की आवाज से परेशानी होती है। सुबह उनकी नींद जल्दी खुल जाती है और इसी के बाद से पूरे मीडिया में इसे लेकर बवाल शुरू हो गया था। कोई उनके ख़िलाफ तो कोई उनके साथ लेकिन अब सोनू निगम के लिए एक खुशखबरी है। देश में ऐसी मस्जिद अब तैयार की जा रही है जिसमें होने वाली नमाज से सोनू निगम को कोई परेशानी नहीं होगी।
आमतौर पर हर मस्जिद में लाउडस्पीकर पर अज़ान सुनने के बाद नमाज पढ़ी जाती है लेकिन अब इससे हटकर एक नई मस्जिद तैयार की जा रही है, जिसमें न तो आवाज होगी और न ही उसके लाउडस्पीकर से कोई परेशान होगा। जहां हर शुक्रवार यानी जुमे की नमाज वे लोग भी पढ़ सकेंगे जो न तो सुन सकते हैं और न ही बोल सकते हैं। यह मस्जिद केरल में बनाई गई है और देश की पहली ऐसी मस्जिद भी है जो मूक-बाधिरों के लिए बनाई गई हो।
मल्लपुरम के पुलिक्कल में सोमवार को मस्जिद अल-रहम का उद्घाटन हुआ। पांच एकड़ जमीन पर बनी इस मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान होने वाले खुतबा को मूक-बधिरों की भाषा (सांकेतिक भाषा) में अनुवाद किया जाएगा। यह भारत की पहली मस्जिद है जहां यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसी तरह से हर नमाज के दौरान दिए जाने वाले धर्मोपदेश के लिए भी संकेतों की भाषा के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। किसी को देखने में दिक्कत न हो इसके लिए मस्जिद की दीवारों पर एलसीडी स्क्रीन भी लगा दी गई हैं। इस मस्जिद में एक साथ 500 लोग नमाज पढ़ सकते हैं।
अबिलिटी फाउंडेशन नाम के गैर-सरकारी चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन मुस्तफा मदनी का कहा है, ’जुमे की नमाज के दौरान दूसरी तरह की शारीरिक अक्षमताओं वाले लोग तो धार्मिक उपदेशों का लाभ उठा पाते हैं लेकिन जिन लोगों के पास सुनने की क्षमता नहीं है वे वंचित रह जाते हैं।’ मस्जिद के शौचालयों में रैंप्स, आर्म रेस्ट्स भी लगाए गए हैं साथ ही व्हील चेयर्स का भी बंदोबस्त किया गया है।
मदनी का एनजीओ एक इंस्टीट्यूट भी चलाता है जहां 300 शारीरिक रूप से अक्षम स्टूडेंट्स हैं। इनमें से भी 200 ऐसे हैं जो सुन नहीं सकते। मदनी ने बताया कि उन्हें इस मस्जिद को बनाने का आइडिया तब आया जब उन्हें पता लगा कि जो स्टूडेंट सुन नहीं सकते वे जुमे की नमाज और प्रार्थना सभा सिर्फ इसलिए छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें धर्मोपदेश का पालन करने में दिक्कत आती है। इस मस्जिद का निर्माण अक्टूबर 2016 में ही शुरू हो गया था। मस्जिद को बनाने में 75 लाख रुपये खर्च हुए हैं।
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