अब तक ओलंपिक खेलों में भारत कई बार डोपिंग के आरोपों का सामना कर चुका है। हालांकि क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसमें भारत डोपिंग से अब तक अछूता रहा है। क्रिकेट में डोपिंग का असर न पड़े इसीलिए बीसीसीआई ने एक पहल की है। दरअसल, घरेलू क्रिकेटरों (पुरुष और महिला) के लिए बीसीसीआई ने एक हेल्पलाइन की शुरुआत की है। इस हेल्पलाइन को शुरू करने के पीछे बीसीसीआई का मकसद दवाइयों और सप्लीमेंट्स के प्रति क्रिकेटरों को जागरुक करना है।
-कई ओलंपिक खेलों में डोपिंग के संकट के बावजूद बीसीसीआई पहली भारतीय खेल संस्था है जिसने इस तरह की हेल्पलाइन शुरू की है। यह पिछले कुछ समय से संचालित की जा रही है और इसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं। बीसीसीआई ने 2015 में 176 टेस्ट किए और विश्व डोपिंग रोधी संस्था (वाडा) की प्रकाशित नवीनतम डोपिंग रोधी नियंत्रण सूची के अनुसार ये सभी नकारात्मक रहे हैं।
-डोपिंग क्रिकेट में कोई बड़ा संकट नहीं है लेकिन बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को शिक्षित करने के लिए प्रयास किए हैं जिससे कि प्रदीप सांगवान जैसी ग़लती नहीं दोहराई जाए जो प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन के कारण प्रतिबंधित होने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर बने थे। सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई अपने डोपिंग रोधी कार्यक्रम पर सालाना एक करोड़ रुपये खर्च कर रहा है और यह हेल्पलाइन इसी ढांचे का हिस्सा है।
क्या है डोपिंग?
वह ताकत बढ़ाने वाला पदार्थ जिसे खाने से किसी भी खिलाड़ी का स्टैमिना एकदम से बढ़ जाए। इस शॉर्टकट के जरिए वह खेल के मैदान में अपने विरोधी खिलाड़ियों को पीछे छोड़ सकता है।
कैसे होती है डोपिंग?
कोई भी खिलाड़ी लिक्विड फॉर्म में इंजेक्शन के जरिए या प्रतिबंधित पाउडर खाकर या उसे पानी में घोलकर ले सकता है। इसे खाने-पीने की चीज में मिला कर भी लिया जा सकता है।