क्रिकेट भारत का नेशनल गेम नहीं हैं लेकिन फिर भी लोगों का झुकाव उस तरफ ज्यादा हैं। लोगों में उसे लेकर पागलपन, जुनून सवार रहता है। भारत का पूर्व हिस्सा पाकिस्तान में भी किक्रेट को लेकर जबरदस्त जुनून रहता है। दोनो टीमें जब मैदान में एक दूसरे के सामने होती हैं तब पूरे देश की निगाहे टीवी, मोबाइल, इंटरनेट पर लगी रहती है। जो देश पूरा एक था उनमें अब इस तरह से खून खोलता है की पूरा देश टीम इंडिया के जीत की दुआं करने लगता हैं। एक जबरदस्त गर्मी आ जाती है। मैच में जीत और हार मानों दोनों देशों के बीच की जीत और हार का फैसला हो रहा हैं।
आज से 70 से पहले ऐसा कुछ नहीं था। सिर्फ एक टीम थी। जो दूसरे देश की टीम से लड़ती थी। पर हालात तब बदले जब देश का बंटवारा हो गया। जो टीम कभी एक हुआ करती थी, वहीं टीम दो हिस्सों में बंट गई। भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। जो खिलाड़ी कभी एक टीम होकर विश्व की दुसरी टीम के साथ खेलते थे वो एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी बन गए।
ऐसे ही एक बड़ौदा के खिलाड़ी थे अमीर इलाही (left side)। उस समय में बड़ौदा की टीम ही कमोबेश भारत की किक्रेट टीम थी। लेकिन जब देश का बंटवारा हुआ, तो आमिर ने पाकिस्तान का रास्ता चुना। वो अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चलें गए। वहां पर वह अपने परिवार के साथ बस गए। उसके बाद अहमद पाकिस्तान की क्रिकेट टीम में चुने गए थे।
मनन अहमद, अमीर इलाही के पोते इन दिनों अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाते है। मीडिया के मुताबिक मनन ने बताया कि, ‘‘उनके दादा अमीर इलाही बहुत बड़े क्रिकेटर नहीं थे। वो एक औसत खिलाड़ी थे। उन्होंने खेल के मैदान में कोई कामयाबी के बड़े झंडे नहीं गाढ़े थे। वह थोड़ा बहुत खेल लेते थे, कुल मिलाकर टीम के एक खिलाड़ी भर थे। लेकिन अमीर पाकिस्तान के कट्टर सर्मथक थे।
विभाजन के बाद मैदान पर मिले थे अपने साथियों या प्रतिद्वंदियों से
1953 में पाकिस्तान की टीम पहली बार पाक के दौर पर आई थी। अमीर भी इस टीम में शामिल थे। मैदान पर अपने साथियों को देखकर उनकी तमाम यादें ताज़ा हो गई थी। लेकिन दोनों टीमों में जीत का जज़्बा जबरदस्त था। और वो पहला दौरा भारत के नाम रहा। अमीर का प्रदर्शन कोई खास नहीं था।
म्यूजिम के लिए दिया था सामान ब्लैक में बिक गया
अमीर इलाही ने अपने क्रिकेट खेलने के सामान को बहुत सहेजकर रखा था। मनन बताते है कि, ‘‘एक आदमी उनके पास आया, और कहने लगा वह लाहौर में क्रिकेट का म्यूज़ियम खोलने वाला है। ये बात सुनकर झट से सारा सामान उस शख्स को दे दिया। लेकिन वो शख्स सामान लेकर कहां गायब हो गया पता ही नहीं चला। मनन बताते है कि हो सकता हो वो सामान ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया हो।
ये सोचना आज भी दिलचस्प लगता है कि, ’’आज एक – दूसरे के दुश्मन माने जाने वाले खिलाड़ियों से पहले कभी दोनों देश के खिलाड़ी और दोनों ही टीम के लिए खेला करती थी।’’ तो ऐसे है भारत-पाक क्रिकेटर की दिलचस्प कहानी।