पीएम मोदी इजराइल की यात्रा के बाद जी20 समिट के लिए हैम्बर्ग गए हैं। पीएम मोदी के अलावा इस समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप ऐर्दोगॉन होंगे। वैसे जहां भी किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष जाते हैं वहां अपने बॉडीगॉर्ड साथ ले जाते हैं लेकिन ये समिट कुछ अलग तरह की है।
गिनती के बॉडीगार्ड होंगे साथ
इस सम्मेलन में उतने ही बॉडीगॉर्ड आ सकते हैं जितने की अनुमति जर्मनी देगा। वैसे लोगों का सोचना है कि इस समिट में सबसे ज़्यादा बॉडीगार्ड अमेरिका के ट्रंप ला सकते हैं लेकिन ट्रंप को इस समिट में सिर्फ 11 बंदूकधारी बॉडीगार्ड लाने की परमिशन मिली है। इस समिट में सभी राष्ट्राध्यक्ष अपने-अपने मकसद से आते हैं।
आमने-सामने होगा रूस-अमेरिका
इस सम्मेलन में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन आमने-सामने होंगे। आपको याद होगा कि ट्रंप ने इलेक्शन में रूस पर हैकिंग का आरोप लगाया था। हाल ही में देखा जाए तो दोनों देशों के रिश्ते काफी मधुर है लेकिन इतने बड़े मंच पर इन दोनों देशों का क्या रिएक्शन होता है ये तो समय ही बताएगा।
चीन को मिली एक बॉडीगार्ड की अनुमति
इस समिट में ब्राजील भी शामिल होगा। ब्राजील को इस बार 13 बंदूकधारी गार्ड लाने की परमिशन मिली है वही साउथ अफ्रीका को इस समिट में 10 बंदूकधारी गार्ड लाने की अनुमति मिली। बात अगर चीन की करें तो चीन को इस समिट में सिर्फ एक बॉडीगार्ड लाने की अनुमति दी गई है।
महिला बॉडीगार्ड का नाम चर्चा में
अंग्रेजी मीडिया के अनुसार चीन की ओर से आने वाले बॉडीगार्ड में एक महिला बॉडीगार्ड का नाम काफी चर्चा में है। इस महिला का नाम शू शीन हैं। पिछले साल के जी20 समिट में वे चीन के राष्ट्रपति के साथ थी। उनकी तस्वीरें भी इंटरनेट पर काफी वायरल हुई थी। उन्हें दुनिया की दस खूबसूरत सैनिकों में से एक माना जाता है।
मेहमाननवाजी की पूरी व्यवस्था
जी20 समिट में पहुंचने वाले नेताओं के मनोरंजन के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। मेजबान जर्मनी अपने मेहमानों को बीफ से बने पकवानों के साथ फ्राइड एग भी खिलाएगा। समिट के पहले दिन शाम को म्यूजिकल कंसर्ट की व्यवस्था भी की गई है। जर्मनी पहुंच रहे नेतओं का वहां खूब स्वागत हो रहा है।
लोग कर रहे विरोध
हैम्बर्ग पहुंचे हर नेता का अपना एजेंडा है, लेकिन जोर आतंकवाद, क्लाइमेट चेंज और पोटेक्शनिज्म पर बातचीत के जरिए बेहतर भविष्य के लिए रास्ता बनाने का है। सम्मेलन में औपचारिक बातचीत के अलावा भी और बहुत कुछ घट रहा है. हैम्बर्ग को लेफ्ट का गढ़ माना जाता है. और सम्मेलन के खिलाफ सड़कों पर जोरदार प्रदर्शन हो रहा है। जी20 के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोग कह रहे हैं- ‘‘वेलकम टू हेल।’’