इंसान अपना पेट काटकर एक-एक पैसा जोड़कर रखता है ताकि उसके बुरे दिनों में वो पैसा काम आ सके लेकिन अगर वहीं पैसा आपके बुरे वक्त में भी काम न आ पाए तो फिर फायदा ही क्या? नोटबंदी के बाद से लोगों के पास पैसा तो है लेकिन वो बैंक या एटीएम से कैश निकाल नहीं पा रहे हैं। अब तो आफत ये आ गई है कि कई जगह बैंकों में भी कैश खत्म हो गया है।
नोटबंदी के बाद से कई लोगों के मरने की ख़बरे भी मीडिया में आई हैं लेकिन ये ख़बर कुछ अलग है। इस ख़बर को पढ़ने के बाद शायद आपको अच्छा महसूस हो और हो सकता है बुरा भी लगे लेकिन नोटबंदी के इस माहौल में जब बैंक में भी कैश खत्म हो जाए ऐसे वक्त पर कोई मदद कर दें तो वाकई में तारीफे काबिल काम होता है।
ये वाकया है यूपी के गाजियाबाद का जहां एक बैंक के मैनेजर ने बैंक में पैसे खत्म हो जाने के बाद एक व्यक्ति को 7000 रूपए देकर उसकी मदद की। गाजियाबाद के रहने वाले मुन्नेलाल शर्मा कैंसर पीड़ित है। बीते सोमवार को वे खुद अपनी पोती नेहा के साथ बैंक से पेसे निकालने गए थे ताकि वो दवाईयां खरीद सकें। लेकिन बैंक में पैसा खत्म हो गया था और पैसा नहीं निकाल पाए और अगले ही दिन मुन्ने लाल का निधन हो गया।
मीडिया को दिए इंटरव्यू में मुन्नेलाल की पोती ने बताया कि ‘‘दादाजी के अंतिम संस्कार के लिए पैसे की ज़रूरत थी इसलिए मैं बैंक गई, लेकिन वह कैश खत्म हो चुका था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैने बैंक मैनेजर का पूरी बात और स्थिति के बारे में बताया। मेरी बात सुनने के बाद मैनेजर ने कुछ लोगों से 10,000 रूपए देने को कहा और खुद अपनी तरफ से 7000 रूपए की मदद कीं।