वित्त मंत्रालय रखेगा अब रेल मंत्रालय के खर्चों पर नज़र
अब रेल मंत्रालय के खर्चों पर वित्त मंत्रालय नज़र रखेगा ऐसा इसीलिए क्योंकि ब्रिटिश सरकार के समय से चली आ रही प्रथा अब खत्म होने जा रही है। 15 अगस्त से पहले केन्द्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। 2017 से रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा बल्कि इसे अब आम बजट में ही शामिल किया जाएगा। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने पांच सदस्यों की कमेटी भी बनाई है जो अंतिम रूप से इस पर फैसला लेगी। आपको बता दें कि रेल बजट अलग से पेश करने की प्रथा 92 साल से चली आ रही है। जिसे मोदी सरकार ने अब खत्म करने का फैसला लिया है, इसके पीछे सरकार की मंशा है कि रेलवे के सभी प्रकार के खर्चों और आय पर सरकार की नज़र रहे।
- इन्होंने पहले ही कहा था खत्म हो रेल बजट
नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबराय और किशोर देसाई पहले ही रेल बजट को खत्म करने की बात कर चुके हैं। खुद रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी रेल बजट पर राय दे चुके हैं। प्रभु ने 9 अगस्त 2016 को राज्यसभा में कहा था कि उन्होंने रेल बजट को आम बजट में शामिल करने के लिए वित्त मंत्री अरूण जेटली से बात कर ली है। इनके अलावा कई राजनीतिक दलों का भी यही कहना है कि रेल बजट को खत्म किया जाएं।
- क्यों लिया ये फैसला ?
आपको बता दे कि 1996 के बाद से आई गठबंधन वाली सरकारों में , राजनीति में धाक रखने वालों ने रेलवे बजट का इस्तेमाल अपनी छवि बनाने के लिए किया है। हाल के वर्षो में ये सब बहुत ज्यादा ही हो रहा था। लेकिन अब इन सब पर रोक लगने जा रही है क्योंकि रेल मंत्री की तत्परता को देखते हुए केंद्र सरकार ने रेल मंत्रालय का जिम्मा किसी और को देने की बजाय अपने ही पास रख लिया हैं।
पसंद की ख़बरों के लिए करें |