Sunday, September 3rd, 2017 11:01:50
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गौतम बुद्ध ने क्यो कहा था ‘हर व्यक्ति की होनी चाहिए चार पत्नियां’




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गौतम बुद्ध के विचारों का पालन दुनिया में कई लोग करते है। कई लोग ऐसे है जो उन्हें बहुत मानते हैं उनके विचारों का उनके कथनों का पालन करते है। गौतम बुद्ध के विचार तथा उपदेश थे भी ऐसे ही जिनसे सभी प्रभावित होते थे लेकिन उनका एक विचार ऐसा भी था जो आपको हैरान कर देगा। उन्होंने कहा है कि एक व्यक्ति की चार पत्नियां होनी चाहिए।

इस बात को पढ़कर कुछ लोग हैरान होंगे लेकिन कुछ लोग इस बारे में जानते भी होंगे। गौतम बुद्ध ने खुद अपने उपदेश में कहा है कि एक व्यक्ति की एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार पत्नियां होनी चाहिए। गौतम बुद्ध ने ऐसा क्यों कहा था इसके पीछे उन्होंने एक कहानी बताई थी जिसमें उनकी इस बात का सार छुपा हुआ है।

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गौतम बुद्ध ने सुनाई थी ये कहानी
गौतम बुद्ध द्वारा सुनाई ये कहानी आगम सूत्र में दर्ज है जो इस प्रकार है, एक समय की बात है, एक व्यक्ति था जिसकी 4 पत्नियां थीं। यह उस दौर की बात है जब भारत में एक पुरुष को एक से अधिक पत्नियां रखने की इजाजत थी। उसका जीवन काफी अच्छा चल रहा था, लेकिन परेशानियां भी अधिक दूर नहीं थीं।

उसकी ज़िन्दगी में एक समय ऐसा भी आया जब वो काफी बीमार पड़ गया और उसकी बीमारी ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी। उसे लगने लगा कि उसकी मृत्यु का समय आ गया है। इस बात का अहसास होने पर वो काफी अकेला और उदास रहने लगा। उसे लगने लगा कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं है और जल्द ही वो मौत के मुंह में चला जाएगा।

अपने इसी अकेलेपन में उसे अपनी पत्नियों की याद आई। उसने हिम्मत करके अपनी पहली पत्नी से प्रश्न किया,‘प्रिय, मेरी मृत्यु काफी नजदीक है, बहुत जल्द मैं अपना शरीर त्यागकर संसार से मुक्त हो जाऊंगा। लेकिन मैं अकेले ही यह सफर तय नहीं करना चाहता। मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया और अब भी करता हूं, क्या तुम मृत्यु के बाद मेरे साथ चलोगी, जहां भी मैं जाऊं?’
इस बात को सुनकर कुछ क्षण तो उस व्यक्ति की पत्नी को कुछ समझ नहीं आया वो कुछ देर के लिए खामोश हो गई। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे। लेकिन कुछ हिम्मत जुटाते हुए उसने अपनी पति की बात का उत्तर दिया। उसने कहा “स्वामी, मैं जानती हूं कि आप मुझसे बेहद प्रेम करते हैं। मैं भी आपसे तहे दिल से मोहब्बत करती हूं, लेकिन अब तुम्हारी मृत्यु के साथ हमारे अलग होने का समय आ गया।“ ऐसा कहते हुए पहली पत्नी ने अपने पति से विदा ली।

दूसरी पत्नी से फिर किया प्रश्न
अब उदास पति अपनी दूसरी पत्नी के पास पहुंचा, उससे भी उसने यही सवाल किया और कहा, “क्या तुम मृत्यु के बाद मेरे साथ चलोगी?”
उस व्यक्ति की दूसरी पत्नी ने बेहद विनम्र तरीके से अपने पति के इस सवाल का जवाब दिया और कहा, “जब आपकी पहली पत्नी ने ही आपके साथ जाने से इनकार कर दिया, तो मैं आपके साथ कैसे जा सकती हूं?” ऐसा कहते हुए वह वहां से चली गई।

तीसरी पत्नी से किया सवाल
अब वह व्यक्ति बेहद उदास होकर वहां से चला गया। मौत के बेहद करीब खुद को पाकर उसने अपनी तीसरी पत्नी को बुलाया और वही प्रश्न किया जो उसने अपनी पहली और दूसरी पत्नी से भी किया था। लेकिन उससे भी उसे इनकार के सिवा और कुछ हासिल ना हुआ। अब उसने अपनी चौथी पत्नी को बुलाया। अब तक वह सारी उम्मीदें खो चुका था, इसलिए अपनी चौथी पत्नी से वही सवाल करने की हिम्मत ना कर सका। वह चुपचाप अपनी चौथी पत्नी को देखता रहा, लेकिन फिर कुछ पल के बाद आखिरकार उसने वही सवाल किया।

चौथी पत्नी से किया सवाल
“क्या मरने के बाद मैं जहां जाऊंगा, वहां तुम मेरे साथ चलोगी? क्या तुम मरने के बाद भी मेरा साथ दोगी?” इस सवाल को चौथी बार दोहराते हुए उस व्यक्ति की आवाज में बेहद हिचकिचाहट थी। लेकिन इस बार उसकी अपेक्षाएं काफी कम हो गई थीं। किंतु तभी उसकी पत्नी ने जवाब दिया, “स्वामी, मैं आपके साथ अवश्य चलूंगी। आप जहां मुझे लेकर जाना चाहें, मैं आपका साथ दूंगी। मैं स्वयं भी आपसे दूर नहीं रह सकती, इसलिए आप जहां भी जा रहे हैं मुझे साथ ही लेकर जाएं।“

नेक्सट पेज पर पढ़ें क्या कहना चाहते थे गौतम बुद्ध इस कहानी के माध्यम से

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