इस कहानी को सुनाते हुए गौतम बुद्ध ने अंत में कहा कि हर पुरुष एवं महिला के पास 4 पत्नियां एवं 4 पति, होने चाहिए। ताकि उसे भी चौथी बार में हां सुनने को मिल सके। किंतु कहानी में बताई गई 4 पत्नियों को गौतम बुद्ध ने जीवन के एक खास पहलू के साथ जोड़ा है, क्या है वह आगे जानिए..
पहली पत्नी हमारा शरीर
गौतम बुद्ध के अनुसार कहानी में पहली पत्नी हमारा शरीर है। जिसे हम कभी भी अपनी मृत्यु के बाद अपने साथ लेकर नहीं जा सकते। मनुष्य कितना ही प्रयत्न क्यों ना कर ले, लेकिन उसका शरीर मृत्यु के बाद उसके साथ नहीं जाता। इस शरीर को या तो जला दिया जाता है या फिर दफ्न कर दिया जाता है। शरीर मानव की मृत्यु के बाद नष्ट कर दिया जाता है। इसलिए मरने के बाद हम ‘पहली पत्नी’ को दर्शाता शरीर साथ लेकर नहीं जा सकते।
दूसरी पत्नी हमारा भाग्य
दूसरी पत्नी है हमारा ‘भाग्य’… मृत्यु के बाद कैसा भाग्य? मृत्यु ही तो अंत है, इसके बाद हमें क्या मिलेगा और क्या नहीं यह हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। लेकिन मृत्यु के बाद हमें जो मिलता है वह एक नई शुरुआत ही है। इसलिए हम अपने भाग्य को कभी साथ नहीं ले जा सकते।
तीसरी पत्नी हमारे रिश्ते
कहानी में तीसरी पत्नी से तात्पर्य है ‘रिश्ते’। महाभारत में श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा का किसी से भी संबंध नहीं रहता। आत्मा किसी की नहीं होती, जब तक उसे नया शरीर ना मिल जाए, उसका कोई सगा-संबंधी नहीं होता। इस बात को श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया था, जब अपने पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु के ग़म में उसने युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया था। तब श्रीकृष्ण ने उसे स्वर्ग में भेजा, जहां उसने अभिमन्यु को देखा।
पुत्र को आंखों के सामने देखते ही अर्जुन अति प्रसन्न हो गया और गले से लगा लिया। लेकिन जवाब में अभिमन्यु ने अर्जुन को पीछे धक्का मारा और सवाल किया कि ‘तुम कौन हो’? तब श्रीकृष्ण ने समझाया कि वह अभिमन्यु नहीं, मात्र एक आत्मा है। जिसका केवल तब तक तुम्हारे साथ रिश्ता था, जब तक वह तुम्हारे पुत्र अभिमन्यु के शरीर में थी। अब नया शरीर मिलने तक यह आत्मा किसी की नहीं कहलाएगी।
गौतम बुद्ध की कहानी के अनुसार तीसरी पत्नी जो कि व्यक्ति के रिश्ते को दर्शाती है, वह उसके साथ नहीं जा सकती। अब अगली बारी है चौथी पत्नी की, जो आखिरकार साथ जाने के लिए तैयार हो गई।
चौथी पत्नी हमारे कर्म
गौतम बुद्ध के अनुसार चौथी पत्नी है हमारे ‘कर्म’। यह एकमात्र ऐसी चीज है जो मृत्यु के बाद हमारे साथ जाती है। हमारे पाप-पुण्य का लेखा जोखा दिलाती है। मृत्यु के बाद हमारी आत्मा को स्वर्ग प्राप्त होगा, नर्क प्राप्त होगा या फिर नया जीवन, यह कर्मों पर ही निर्भर करता है।
तो इस तरह गौतम बुद्ध के कहे अनुसार हमारी चार पत्नियां होनी चाहिए।