इन कारणों से 6 बार जम्मू कश्मीर में लागू हुआ राज्यपाल शासन
जम्मू कश्मीर। जम्मू कश्मीर में एक बार फिर राज्यपाल शासन लागू होने के आसार नजर आ रहे हैं क्योंकि पीडीपी की प्रधान महबूबा ने फिलहाल सीएम पद की शपथ लेने से मना कर दिया है। ऐसे में जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो सकता है। सूत्रों के अनुसार महबूबा पिता मुफ्ती के जाने से काफी दुखी हैं इसलिए राज्य शौक के खत्म होने तक वे शपथ नहीं लेना चाहती हैं। अगर राज्यपाल शासन लागू हुआ तो ये सातवीं बार होगा जब जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होगा। तो आइए जानते हैं पहले किन कारणों से जम्मू कश्मीर में लागू हुआ राज्यपाल शासन…
छठीं बार
वर्ष 2015 में जनवरी महीने में कुछ समय के लिए राज्यपाल शासन लागू हुआ था। इसकी वजह थी कार्यकारी मुख्यमंत्री के रुप में उमर अब्दुल्ला का त्यागपत्र। चुनावों के बाद गठजोड़ में समय लग रहा था। उमर ने कार्यकारी सीएम के तौर पर इस्तीफा दे दिया था। उस दौरान राज्यपाल शासन लागू हो गया था। जैसे ही पीडीपी-भाजपा का गठबंधन हुआ तो मुफ्ती को सीएम की कुर्सी मिली थी।
पांचवी बार
अमरनाथ भूमि विवाद को लेकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने 28जून 2008 को आजाद नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। आजाद ने विधानसभा में विश्वास मत का सामना किए बगैर ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद नीत गठबंधन सरकार गिरने के बाद तत्कालीन राज्यपाल एन एन वोहरा ने 11 जुलाई 2008 से पांच जनवरी 2009तक पांचवीं बार राज्यपाल शासन लगाया था। इसकी अवधि 178 दिनों की थी।
चौथी बार
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से इंकार करने के बाद चौथी बार 15 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया। तत्कालीन राज्यपाल जी सी सक्सेना ने 18 अक्टूबर से दो नवंबर 2002 तक राज्यपाल शासन लगाया था। इसके बाद कांग्रेस और पीडीपी ने 15दिनों में गठबंधन सरकार का गठन किया था।
तीसरी बार
राज्य में आतंकवाद का दौर शुरू होने के कारण तीसरी बार 19 जनवरी 1990 को लगा राज्यपाल शासन सबसे लंबी अवधि का था। यह छह साल 246 दिनों तक रहा। डॉ. फारूक अब्दुल्ला नीत सरकार ने जगमोहन को राज्यपाल बनाए जाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। जगमोहन की ओर से लगाया गया राज्यपान शासन नौ अक्टूबर 1996 तक लागू रहा।
दूसरी बार
छह मार्च 1986 को तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने 246 दिनों के लिए दूसरी बार राज्यपाल शासन लगाया था। दरअसल साल 1984 में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के दामाद गुलाम मोहम्मद शाह ने कांग्रेस के 26 विधायकों और नेकां के 12 बागियों की मदद से डॉ. फारूक अव्दुल्ला की सरकार गिरा दी थी। लेकिन 1986 में कांग्रेस ने शाह से समर्थन वापस ले लिया जिसकी वजह से राज्यपाल शासन लगाया गया। छह माह के बाद संवैधानिक व्यवस्थाओं के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगा था जो सात नवंबर तक लागू रहा।
पहली बार
राज्य में पहली बार 26 मार्च 1977 को तत्कालीन राज्यपाल एलके झा ने राज्यपाल शासन लगाया गया था जो 105 दिनों तक लागू था। कांग्रेस की ओर से शेख अब्दुल्ला नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण राज्यपाल शासन लगाया गया था। यह नौ जुलाई 1977तक लागू रहा।
क्यों और कैसे लगता है राज्यपाल शासन
देश के अन्य राज्यों में संवैधानिक संकट की स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 356के तहत राष्ट्रपति शासन लगता है लेकिन जम्मू कश्मीर का अपना संविधान होने के कारण यहां अनुच्छेद 92के तहत छह माह के लिए राज्यपाल शासन लगता है। राज्यपाल राष्ट्रपति से सहमति मिलने के बाद राज्यपाल शासन की घोषणा जारी करता है। यदि छह माह के अंदर संवैधानिक व्यवस्था बहाल नहीं हो पाती है तो संविधान के अनुच्छेद 356के तहत राष्ट्रपति शासन लग जाता है।