सरकारी बाबू परेशान, RTI में पूछे अजीबो-गरीब सवाल
केंद्र सरकार ने देश के सभी नागरिकों को सूचना का अधिकार दिया है जिसके अंर्तगत में वे सभी सरकारी कामकाजों के बारें में आरटीआई दायर कर जान सकते हैं। आरटीआई आम लोगों को सशक्त बनाने का बेहतरीन जरिया हैं। इससे कम पैसो में सरकार से जुड़ी हुई जानकारियां प्राप्त कर सकते है। आरटीआई जहां लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है वहीं दूसरी ओर ये सरकारी बाबूओं के सिरदर्द बन रहीं है।
क्यों परेशान है सरकारी बाबू
दरअसल कई सरकारी बाबूओं के लिए आरटीआई में पूछे गए सवालों का जवाब देना सिरदर्द जैसा बन जाता है। क्योंकि इनमें पूछे सवालों के जवाब तय समय में ही उन्हे देने होते है वरना इन्हे खुद ही जुर्माना देना होता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी दफ्तरों में स्टॉफ की कमी बताई जा रही है। औसतन हर सरकारी विभाग को रोज 10 आरटीआई अर्जिया मिलती है। एक महीनें में ये हजारों से भी ज्यादा हो जाती हैं। ये सब तो ठीक है पर इससे ज्यादा सरदर्द वाली बात ये है कि इसमें कुछ अजीबो-गरीब तरह के सवाल पूछे जा रहे है जिनका जवाब ढूंढने में सरकारी बाबूओं को पसीने आ रहे है।
इस तरह के अजीबो-गरीब सवाल पूछे जाते है
-आरटीआई में पूछा गया कि अगर कोई हिंदू सरकारी अधिकारी मुस्लिम की तरह दाड़ी रखे और उसकी तरह कपड़े पहने तो उसके खिलाफ क्या कार्यवाही कर सकते है? उसका ट्रांसफर के क्या नियम है?
– अगर कोई सरकारी महिला अधिकारी ढेर सारा सिंदूर लगाती है तो उसके ट्रांसफर के क्या नियम है?
-सरकार बधाई संदेश कैसे भेजती है? इस पर कितनी राशी खर्च करती है?
– सचिवालय में रोज कितने लोग आते है? कृप्या महीने के मुताबिक संख्या बताएं?
ऐसे सवालों के जवाब देने में सरकारी बाबूओं को कई फाइले उलटनी पढ़ती है जिसमे काफी समय लग जाता हैं। इस कारण इन बाबूओं की परेशानी बढ़ गई है और ये सवाल इनका सिरदर्द बने हुए है।