रोड एक्सीडेंट्स को रोकने के लिए सरकार की पहल
लगातार बढ़ रहे सड़क दुर्घटनाओं के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने एक नई पहल की है। अब वह गाड़ी चलाने वालों के साथ-साथ सड़क बनाने वालों की भी क्लास लगेगी। इसका मकसद बेहूदा ड्राइविंग और गलत रोड डिजाइन के कारण हर साल होने वाली पांच लाख दुर्घटनाओं और डेढ़ लाख मौतों में कमी लाना है। राज्य परिवहन निगम तथा निजी कंपनियां मिलकर लोगों को गाड़ी चलाना सिखाएंगी। सरकार इसमें पूरी तरह से मदद करेगी। सड़क बनाने वाली कंपनियों को भी अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना होगा। सरकार उन्हें भी सहयोग देगी। यही नहीं, जो कर्मचारी अपना काम छोड़कर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे, उन्हें भी प्रशिक्षण भत्ता मिलेगा।
बता दें कि 70 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं ड्राइवरों की ग़लती से होती हैं। इसलिए सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार का ध्यान अब ड्राइवरों की ट्रेनिंग पर गया है। चूंकि नौसिखिए ड्राइवर ज्यादा ग़लती करते हैं, लिहाजा इन्हें प्रशिक्षण के बाद ही सड़कों पर उतरने दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। सबसे पहले राज्य परिवहन निगमों (एसआरटीसी) के ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटरों को उन्नत किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक एसआरटीसी को प्रति सेंटर एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी। यही नहीं, निजी क्षेत्र को भी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वे भी समान मदद के हकदार होंगे।
कौशल विकास मंत्रालय की ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एएसडीसी) ने राष्ट्रीय कौशल शिक्षा संरचना (एनएसक्यूएफ) के तहत ड्राइवरों की ट्रेनिंग के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार किया है। ट्रेनिंग सेंटरों केंद्रों को एनएसक्यूएफ के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। इस संबंध में सभी राज्यों के परिवहन आयुक्तों/सचिवों तथा परिवहन निगमों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब तक नौ राज्य परिवहन निगमों से ट्रेनिंग सेंटर के 55 प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं।
सड़क कंपनियां को भी देना होगा सहयोग
सौ करोड़ या इससे अधिक की सड़क परियोजनाओं में परियोजना प्रमुखों अथवा अधिशाषी अभियंताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें सिविल वर्क का 0.5 प्रतिशत ड्राइवरों के प्रशिक्षण पर खर्च करना होगा। यह धन आपातकालीन राशि से निकाला जाएगा। इसी के साथ सभी निर्माता कंपनियों के लिए कम से कम 10 प्रतिशत प्रशिक्षित कर्मचारियों की भर्ती अनिवार्य कर दी गई है। बता दें कि सरकार ने सड़क निर्माण कंपनियों के लिए भी अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना अनिवार्य बना दिया है। उन्हें परियोजना स्थलों, औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों (आईटीआई) तथा नोएडा स्थित इंडियन एकेडमी आफ हाईवे इंजीनियर्स में यह प्रशिक्षण देना होगा।
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