बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार लेगी एक्शन
देश एक ओर जहां डिजिटल हो रहा है वहीं देश में रोजगार भी चिंता का विषय बन रहा हैं हालांकि देश में डिजिटल क्रांति के आने से कई लोगों को रोजगार मिला है लेकिन कई लोग आज भी बेरोजगार ही है। कई युवा ऐसे है जिन्हें अपनी पढ़ाई के मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती। देश में इसी तरह की बेरोजगारी पर नज़र रखने तथा इसे दूर करने के लिए सरकार अब एक नया कदम उठा रही हैं।
हर तीन महीने में होगा सर्वे
सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि वह इस साल देश में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को जानने के लिए हर तिमाही में नियमित रूप से सर्वेक्षण कराएगी और सालाना आंकड़ों को सार्वजनिक करेगी। केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने यहां सांख्यिकीय संग्रहण (संशोधन) विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए यह घोषणा की। सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
धारा 37 को कमजोर करना नहीं चाहती सरकार
श्री सदानंद गौड़ा ने चर्चा का उत्तर देते हुए कुछ सदस्यों की उस आशंका को निराधार बताया कि सरकार जम्मू कश्मीर में धारा 370 को कमज़ोर करना चाहती है। उन्होंने कहा कि विकास के लिये जम्मू कश्मीर के व्यापक हित में जो प्रावधान किये गये हैं, उनसे धारा 370 कतई कमज़ोर नहीं होती है। राज्य विधानसभा से इस पर विचार मांगे गये थे लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आने पर बाध्य होकर जम्मू कश्मीर के बारे में दिशानिर्देश तय किये गये हैं।
सांख्यिकीय संग्रहण को लेकर राज्यों के कानून चलेंगे
गौड़ा ने कहा कि सांख्यिकीय संग्रहण को लेकर राज्यों के कानून चलेंगे लेकिन इस संशोधन के माध्यम से केन्द्रीय कानून एवं राज्यों के कानून के बीच निर्वात को भरने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन अनेक प्रकार के सर्वेक्षण करता है। घरों में रहने वालों की आर्थिक स्थिति, खेती की स्थिति, फसल बुवाई, उत्पादन आदि के आंकड़े लिये जाते हैं जिससे संसाधन का उचित आवंटन हो पाता है।
सरकार धारा 370 का उल्लंघन कर रहीः ओवैसी
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार इस कानून के माध्यम से धारा 370 का उल्लंघन कर रही है। सरकार की धारा 370 को हटाने की नीयत के कारण ही जम्मू कश्मीर के उपचुनावों में इतनी कम वोटिंग हुई है और चुनाव आयोग को चुनाव टालना पड़ा है। उन्होंने सरकार के रुख को परपीड़क करार दिया।
रिवोल्यूशनरी रिपब्लिकन पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि जम्मू कश्मीर सांख्यिकीय संग्रहण कानून 2010 के तहत विधानसभा के पास ही केन्द्रीय कानून एवं राज्य के कानून के बीच निर्वात को भरने का अधिकार है लेकिन केन्द्र सरकार इस अधिकार का उल्लंघन करके हड़पने का प्रयास कर रही है। यह सीधे तौर पर धारा 370 का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांख्यिकीय संग्रहण कानून 2008 की धारा 91 को संशोधित करके सरकार आंकड़ों की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है। इस संशोधन आंकड़ों का किसी अन्य उद्देश्य से उपयोग किया जा सकता है।
जम्मू कश्मीर में लेह से भाजपा के सदस्य थूपस्तान छेरिंग ने मांग की कि धारा 370 को हटा दिया जाना चाहिये। जम्मू कश्मीर राज्य के तीन भाग हैं लेकिन सारा ध्यान कश्मीर घाटी पर दिया जाता है। लद्दाख एवं जम्मू की अनदेखी की जाती है। उन्होंने मांग की कि जम्मू एवं लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिये।
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