शहीद हंगपन दादा अशोक चक्र से सम्मानित
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नई दिल्लीः मात्रभूमि की सुरक्षा के खातिर खुद को बलिदान करने वाले अमर शहीद हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत शांतिकाल के सर्वोच्च सैनिक सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर शहीद दादा की पत्नी चासेंग लोवांग ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों यह सम्मान स्वीकार किया।
हंगपन दादा को यह सम्मान अदम्य साहस, वीरता और बलिदान के लिए दिया गया। 26 मई 2016 को कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहादत को प्राप्त हुए हंगपन दादा के ने खुद के नेत्रत्व में 13000 फीट की ऊंचाई पर चार आतंकियों को ढेर कर दिया था।
गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि अबू धाबी के राजकुमार मोहम्मद बिन जायद अल नहयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भावुक क्षण के गवाह रहे। राष्ट्रपति ने असम रेजिमेंट के इस शहीद जवान के साहस को सलामी दी।
आपको बता दें कि अशोक चक्र को परमवीर चक्र के बराबर माना जाता है।शहीद हंगपन दादा अरुणांचल प्रदेश के बोदुरिया गांव के रहने वाले थे। वे 1997 में आर्मी की असम रेजीमेंट के जरिए आर्मी में शामिल हुए थे। बाद में 35 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात किए गए।
शहीद की पत्नी चासेंग लोवांग दादा ने कहा, “मैं आज बहुद दुखी भी हूं और बहुत खुश भी हूं। उन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी, मुझे फक्र महसूस हो रहा है कि मेरे पति को सेना का सर्वोच्च सम्मान मिला। देश के अन्य लोगों को भी आर्मी ज्वाइन करनी चाहिए। मेरे पति अभी भी मेरे साथ हैं, वे चाहते थे कि हमारा बेटा भी सेना में जाए।”
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