बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर 7 मार्च 2016 को 61वां जन्मदिन मना रहे हैं। अनुपम खेर को उन गिने चुने अभिनेताओं में शुमार किया जाता है जिन्होंने लगभग तीन दशक से अपने दमदार अभिनय से सिने दर्शकों के दिल में एक खास मुकाम बना रखा है। जन्मदिन के खास मौके पर आइए एक नजर डालते हैं अनुपम की खास बातों पर…
1. अनुपम किसी भी तरह की भूमिका के लिये उपयुक्त है। फिल्म ’कर्मा’ में एक क्रूर खलनायक की भूमिका हो या फिर ’डैडी’, ’सारांश’ जैसी फिल्म में भावपूर्ण अभिनय या फिर ’रामलखन’, ’लम्हे’ जैसी फिल्मों में हास्य अभिनय इन सभी भूमिकाओं में उनका कोई जवाब नही।
2. 7 मार्च 1955 को शिमला में जन्में अनुपम की बचपन से ही उनकी ख्वाहिश अभिनेता बनने की थी। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुपम खेर ने ’नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ में दाखिला ले लिया। वर्ष 1978 में नेशनल स्कूल से अभिनय की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह रंगमंच से जुड़ गये।
3. 80 के दशक में अभिनेता बनने का सपना लिए हुए उन्होंने मुंबई में कदम रखा। बतौर अभिनेता उन्हें 1982 में प्रदर्शित फिल्म ’आगमन’ में काम करने का मौका मिला लेकिन फिल्म के असफल हो जाने के बाद वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सके।
4. 1984 में अनुपम को महेश भट्ट की फिल्म ’सारांश’ में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उन्होंने एक वृद्ध पिता की भूमिका निभाई जिसके पुत्र की असमय मृत्यु हो जाती है। अपने इस किरदार को अनुपम खेर ने संजीदगी के साथ निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया साथ ही सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किये गए।
5. 1986 में सुभाष घई की फिल्म ’कर्मा’ में बतौर ’खलनायक’ काम कर अनुपम अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। फिल्म की सफलता के बाद बतौर ’खलनायक’ वह अपनी पहचान बनाने में सफल रहे।
6. अपने अभिनय मे आई एकरूपता को बदलने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए अनुपम खेर ने अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन किया। 1989 मे प्रदर्शित सुभाष घई की सुपरहिट फिल्म ’राम लखन’ में उन्होनें फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के पिता की भूमिका निभाई। फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
7. वर्ष 1989 में अनुपम खेर के करियर की एक और अहम फिल्म ’डैडी’ प्रदर्शित हुई। फिल्म में अपने भावुक किरदार को अनुपम खेर ने सधे हुए अंदाज में निभाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपने दमदार अभिनय के लिए वह फिल्म फेयर समीक्षक पुरस्कार और राष्ट्रीय पुरस्कार के स्पेशल ज्यूरी पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
8. 2003 में प्रदर्शित फिल्म ’ओम जय जगदीश’ के जरिए अनुपम ने फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। हालांकि फिल्म विफल साबित हुई। 2005 में अनुपम खेर ने फिल्म ’मैने गांधी को नहीं मारा’ का निर्माण किया। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिये उन्हें कराची इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
9. अनुपम ने कई हॉलीवुड फिल्मों में भी अपने अभिनय का जौहर दिखाया है। 2000 के दशक में अनुपम ने दर्शकों की पसंद को देखते हुए छोटे पर्दे का भी रुख किया और ’से ना सम्थिंग टु अनुपम अंकल’ और ’सवाल दस करोड़ का’ बतौर होस्ट काम कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
10. अनुपम अपने सिने कैरियर में आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद अनुपम नेशनल सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। इसके अलावा उन्होंने ’नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ में बतौर निदेशक 2001 से 2004 तक काम किया।
11. फिल्म क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए अनुपम खेर को पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। अनुपम खेर ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में लगभग 350 फिल्मों में काम किया। अनुपम खेर आज भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
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