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Monday, January 29th, 2018 11:51 PM
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भारत की बेटी ने जीता गोल्ड मेडल, ऑस्ट्रेलिया में रोशन किया भारत का नाम




भारत की बेटी ने जीता गोल्ड मेडल, ऑस्ट्रेलिया में रोशन किया भारत का नामSports

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भारत वर्ल्डकप जीते तो देशवासियों को काफी खुशी होती है लेकिन देश की बेटी अगर गोल्ड मेडल जीते शायद आधे लोगों को ही इस बात की ख़बर लग पाती है। इस बार भारतवासियों का सिर दुनियाभर में गर्व से ऊंचा किया है शूटर हिना सिद्धू ने। इन्होंने इंटरनेशनल कॉमनवेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीता है।

शूटर हिना सिद्धू ने हाल ही में हुई कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने वुमन्स 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा में मंगलवार को गोल्ड मेडल जीता। इसमें उन्होंने 240.8 स्कोर किया। फाइनल में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की इलेना गेलियाबोविच को हराया। इसी गेम में सिल्वर मेडल और ब्रॉन्ज मेडल ऑस्ट्रेलिया ने जीते हैं।

इससे पहले भी दिलाया था गोल्ड मेडल

भारत की स्टार निशानेबाज़ हिना सिद्धू ने इससे पहले अपने हुनर का जलवा दिखाते हुए अंतराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ के वर्ल्ड कप फाइनल में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। हिना ने जीतू राय के साथ मिक्स्ड टीम के रूप में 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा में चीन और फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए अपने देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाया।

डेंटस्ट भी है हिना सिद्धू

हिना सिद्धू सिर्फ शूटर ही नहीं हैं बल्कि एक अच्छी डेंटिस्ट भी हैं। उन्होंने डेंटिस्ट की पढ़ाई की है लेकिन साथ ही साथ वे शूटर खानदान से भी हैं इसलिए वे इस फील्ड में आज अपना और अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। आपको बता दें कि हिना के पिता राजबीर सिंह खुद एक जाने माने शूटर रह चुके हैं।

ईंटों पर निशाना लगाती थीं हिना

हिना सिद्धू शूटर खानदान से हैं ऐसे में शूटिंग का शौक उन्हें बचपन से ही है। बचपन में वे अपनी बंदूक से ईंटों पर निशाना लगाती थीं। हिना के परिवार में उनके पिता के साथ-साथ हिना के पति भी शूटर हैं। उनके भीतर शूटिंग की दिलचस्पी उनके चाचा ने पैदा की जो बंदूके रिपेयर किया करते थे।

हिजाब के कारण नाम वापस लिया था

हिना के साथ एक मौका ऐसा भी आया था जब उन्होंने ईरान में होने वाली एशियाई एयरगन शूटिंग चैपिंयनशिप से अपना नाम वापस ले लिया था। जिसका कारण हिजाब था। उन्होनें कहा था कि वे हिजाब पहनकर खेल नहीं सकती। हिना ने एक ट्वीट के जरिए कहा था कि वो कोई क्रांतिकारी नहीं है लेकिन हिजाब पहनकर खेलने की अनिवार्यता एक खिलाड़ी और खेल भावना के खिलाफ है और वो इस खेल में भाग नहीं ले सकती।

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