मुस्लिम लड़के के साथ लिव-इन में रह सकती है हिंदू गर्लफ्रैंड : हाईकोर्ट
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धर्म और जाति के नियमों को परे रखकर प्यार करने वाले पंछियों के लिए एक अच्छी खबर है। हाल ही में गुजरात हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए एक हिंदू लड़की को मुस्लिम लड़के के साथ लिव-इन में रहने की अनुमति दी है। ये निर्णय स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार युवक और युवती स्कूल में एक साथ पढ़ते थे। इस बीच दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। दोनों ही अपना धर्म नहीं बदलना चाहते थे इसलिए स्पेशल मैरिज एक्ट का सहारा लिया गया। लेकिन इसमें भी एक नियम ये है कि शादी के लिए लड़का-लड़की की उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए। लड़की की उम्र 19 और लड़के की 20 होने की वजह से दोनों शादी नहीं कर सकते थे। इसलिए दोनों ने मैत्री करार करने का निर्णय लिया।
मैत्री करार के बाद से दोनों अपने परिवारों से अलग होकर एक साथ रह रहे थे। इसके बाद इसी साल सितंबर महीने में लड़की के परिजन उसे जबरदस्ती अपने साथ ले गए। लड़के ने इसका विरोध हाइकोर्ट में याचिका दायर करके किया। इस पर कोर्ट ने बानासाकांठा पुलिस को लड़की को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया। जहां लड़की ने घरवालों के बजाया युवक के साथ रहने की इच्छा जताई। उसने कहा कि जब उनकी उम्र 21 साल हो जाएगी तब दोनों शादी कर लेंगे।
वहीं कोर्ट ने भी युवक को इस बात को एफिडेविट देने के लिए कहा जिसमें ये लिखा हो कि वे जैसे ही 21 साल का हो जाएगा, लड़की से शादी कर लेगा।
क्या है मैत्री करार
मैत्री करार एक तरह का फ्रेंडशिप एग्रीमेंट है। गुजरात में लिव-इन-रिलेशनशिप को औपचारिक रूप देने के लिए यह एग्रीमेंट किया और करवाया जाता है। ये करार लिव-इन-रिलेशनशिप को कानूनी सुरक्षा देता है।
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