अब हिंदी की सभी यूनिवर्सिटियों व कॉलेजों में एंट्री
देश भर कि यूनिवर्सिटीज और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में जल्द ही ‘साझा हिन्दी शिक्षण योजना’ लागू की जा सकती है, क्योंकि इस संबंध में संसदीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। इसके साथ ही बिना हिन्दी विभाग वाली यूनिवर्सिटीज से भी इस विभाग की स्थापना करने को कहा जा सकता है। सभी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स को मिनिमम लेवल की हिंदी शिक्षा का स्तर तय करना चाहिए।
मातृभाषा के विकल्प का उपयोग करने की अनुमति दें
इसके अलावा गैर हिन्दी राज्यों में स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटीज और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स को अपना उत्तर लिखने के लिए उनकी मातृभाषा के विकल्प का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसे कुछ राज्यों में स्टूडेंट्स को हिन्दी में परीक्षा या साक्षात्कार का विकल्प नहीं दिया जाता है।
विपक्ष कह रहा है इसे – ‘सरकार का हिंदी थोपने का प्रयास’
इस पहल को विपक्ष समेत कई अन्य वर्गो की आलोचना का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कई वर्ग हिन्दी को थोपने के प्रयास का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पहले ही ज्ञापन सौंप चुके हैं।
सारे देश में यूनिफार्म पॉलिसी का पालन हो
राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि हायर एजुकेशन के क्षेत्र में स्वायत्ता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने कुछ कानून बनाए हैं, जिनके तहत कुछ यूनिवर्सिटीज और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में निर्देश का एकमात्र माध्यम अंग्रेजी है। इसमें यह भी कहा गया है कि इस संबंध में देश के सभी हिस्सों में यूनिफार्म पॉलिसी का पालन किया जाना चाहिए।
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