राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान एवं तुलनात्मक अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष नीरज अत्रि और इसके निदेशक मुनीश्वर ए. सागर द्वारा लिखित पुस्तक ‘ ब्रेनवाश्ड रिपब्लिक’ में UPA सरकार के कार्यकाल में तैयार की गई राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में ‘हिंदू धर्म’ को विकृतीपूर्ण तरीके से पेश किए जाने के आरोप लगाए गए हैं। इस बुक का विमोचन पिछले दिनों राज्यसभा के मनोनीत सदस्य डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने किया था। इस पुस्तक की भूमिका भी डॉ. स्वामी ने ही लिखी है।
हिन्दू धर्म को विकृत किया, जिससे इतिहास भी धूमिल
पुस्तक में दोनों लेखकों ने आरोप लगाया है कि NCERT की कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक की इतिहास की बुक्स का अध्ययन करने से पता चलता है कि हिन्दू धर्म को विकृत कर छात्रों के लिए भारत के इतिहास के बारे में एक गलत तस्वीर पेश की गई है, जो पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। इन बुक्स में वस्तुपरक ढंग से तथ्यों को पेश नहीं किया गया है और जिन तथ्यों को शामिल किया गया है, उन्हें भी तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। दोनों लेखकों ने 100 से अधिक RTI डालकर इन किताबों के बारे में NCERT से स्पष्टीकरण भी मांगा है और NCERT के जवाबों को इस पुस्तक में शामिल भी किया है तथा इन जवाबों पर लेखकों ने अपनी ओर से टिप्पणी भी लिखी है। 431 पृष्ठ की इस पुस्तक के 9 अध्यायों में भारतीय इतिहास के बारे में NCERT की किताबों में दिये गये विवरणों का खंडन भी किया गया है.
हिन्दू शासकों, वेदों, महाभारत, रामायण की आलोचना, ब्राह्मणवाद की भर्त्सना
प्रकाशित बुक में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन किताबों में भारतीय राजा-महाराजाओं की आलोचना तो की गई है, लेकिन मुस्लिम शासकों की आलोचना नहीं की गई है और उन्हें बेहतर प्रशासक बताया गया है। साथ ही ब्राह्मणवाद की भर्त्सना की गई है और इस तरह देश के इतिहास को गलत रूप में पेश किया गया है तथा वेद, महाभारत और रामायण की आलोचना की गई है। पुस्तक में आरोप लगाया गया है कि इतिहास की इन किताबों में इस्लाम और ईसाईयत की तारीफ की गई है, जबकि हिन्दू धर्म को कई तरह की सामाजिक बुराईयों की जड़ बताया गया है।
महमूद गजनवी से औरंगजेब तक को न्यायप्रिय, तैमूरलंग को महान बताया
लेखकों ने यह भी दावा किया है कि इन बुक्स में महमूद गजनवी से लेकर औरंगजेब तक को न्यायप्रिय बताया गया है और तैमूरलंग को ‘महान’ बताया गया है, जबकि विजयनगर साम्राज्य को महत्व नहीं दिया है जबकि यह साम्राज्य बहुत बड़ा था। किताब में यह भी दावा किया गया है कि NCERT की इतिहास की पुस्तकों के लेखकों ने प्राचीन भारत को गुलामी प्रथा और शोषण से भी जोड़ा है, जबकि वे तुर्कियों और अरब हमलावरों के अत्याचारों के प्रति मौन हैं।
हिन्दुवाद को स्त्री-दमनकारी बताया
पुस्तक में यह भी दावा किया गया है कि 19वीं सदी की महान समाज सुधारक और संस्कृत विदुषी पंडिता रमाबाई ने हिन्दू धर्म की जो आलोचना की है, वह दरअसल हिन्दूवाद पर आरोप नहीं बल्कि कुप्रथाओं और आम जनधारणाओं की आलोचना है, लेकिन NCERT की 8वीं कक्षा की किताब में बताया गया है कि हिन्दूवाद महिलाओं को लेकर दमनकारी है।
अल बरनी की अनकही को भी उसकी कही करार दिया
पुस्तक में यह भी दावा किया गया है कि संस्कृत विशिष्ट-जन की भाषा थी और ये विशिष्ट-जन ब्राह्मण थे लेकिन इस अवधारणा के समर्थन में कोई ऐतिहासिक तथ्य पेश नहीं किया गया है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि NCERT की बुक्स के लेखकों ने अल बरनी के उद्गार के रूप में ऐसी बातें लिखी है, जो अल बरनी ने कभी कही ही नहीं थीं।
‘ब्रेनवाश्ड रिपब्लिक’ (Brain Washed) नामक इस पुस्तक के लेखक सागर इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दुस्तान टाइम्स के पत्रकार रहे हैं, जबकि अत्रि ने भौतिकशास्त्री के रूप में 2 दशक तक अपनी भूमिका निभाई है और अब वे भारतीय दृष्टिकोण के साथ धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन में शोधरत हैं।