20,000 एनजीओ पर सरकार की सख्ती, लाइसेंस किए रद्द
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देशवासियों के लिए नवंबर का महीना बड़ा ही बदलाव वाला रहा है, इस महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव हुए जिनका सीधा असर आम जनता और कारोबारियों पर हुआ है। सरकार ने पिछले दिनों नोटबंदी का फैसला करके देश को कैशलेस बनाने की मुहिम शुरू की वहीं बेनामी संपत्ति को जब्त कर देश में बढ़ रहे अवैध रीयल स्टेट के कारोबार पर लगाम लगाई लेकिन सरकार ने अब एक और एक्शन लिया जिसमें सरकार ने 20,000 एनजीओ का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
इस समय देश में कई संगठन मौजूद है जो सरकार की मॉनिटरिंग में चल रहे है इनमें ही शामिल है NGO जिसका पूरा नाम गैर सरकारी संगठन (Non Govermental Organization) है। इस समय देश में लगभग 33,000 एनजीओ चल रहे थे जिसमें से सरकार ने 20,000 एनजीओ के लाइसेंस रद्द कर दिए है। इससे एनजीओ को एक कारोबार के रूप में चलाने वाले लोगों को बड़ा झटका लगा है।

राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह की पहल
एनजीओ के लाइसेंस रद्द करने का गृह मंत्रालय ने किया है। इसके लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह की पहल पर मंत्रालय लंबे समय से उन एनजीओ की जांच कर रहा था जो विदेशी चंदा लेकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते है। मंत्रालय ने FCRA यानि फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (Foreign Contribution Regulation Act) ने कई प्रावधानों के उल्लंघन की वजह से एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए है।
13000 एनजीओ वैध
एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने के बाद ये एनजीओ अवैध घोषित हो चुके है और अब ये 20,000 एनजीओ विदेशों से कॉन्ट्रीब्यूशन या फंड नहीं ले सकेंगे। अब फिलहाल देश में सिर्फ 13,000 ही ऐसे एनजीओ बच गए है जो पूरी तरह वैध है और विदेशों से फंड लेकर अपने एजेंडे पर काम कर सकते है।
एफसीआरए एक्ट का उल्लंघन
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार इन एनजीओ के लाइसेंस रद्द होने का कारण एफसीआरए एक्ट का उल्लंघन करना है। गृह मंत्रालय ने इन एनजीओ को नोटिस भी भेजा था और इनके खातो और कामकाज की ऑडिट भी शुरू की थी। मंत्रालय के अनुसार 11,000 ऐसे एनजीओ थे जो जरूरी कानूनी जिम्मेदारियों को लगातार नज़रअंदाज़ कर रहे थे, इसके अलावाव विदेशों के चंदा लेने सबंधी सरकारी शर्तो की भी अनदेखी की जा रही थी।
भारत में एनजीओ का बड़ा रोल
इस साल गृह मंत्रालय में 2000 नए एनजीओ ने लाइसेंस के लिए आवेदन ले रखा है। आपको बता दें कि भारत जैसे देश की तरक्की में एनजीओ का एक बड़ा रोल है लेकिन उन एनजीओ को कानून के दायरे में ही काम करना होता है उन्हें सरकार की दी हुई गाइडलाइन का पालन करते हुए ही अपने एनजीओ का संचालन करना होता है।