पढ़े कब और कैसे भेजे गए बैंकों में नए नोट
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पीएम मोदी ने नोट बंदी का अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले का ऐलान भले ही अचानक किया गया हो लेकिन इस फैसले की योजना कई महीनों से की जा रही थी। इस फैसले को बड़े ही योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया गया। इस योजना की जानकारी बेहद कम लोगों को ही थी। इसी योजना के तहत एक चार्टर्ड प्लेन बिना किसी की नजर में आए पिछले छह महीनों से मैसूर स्थित सरकारी प्रेस से 2000 के नए नोट दिल्ली स्थित आरबीआई के मुख्यालय पहुंचा रहा था।
ये था मिशन
मैसूर से चार्टर्ड प्लेन की उड़ानें बेंगलुरु समेत कई बड़े शहरों के लिए थीं। खासतौर पर वे शहर जहां आरबीआई की शाखाएं हैं। मिशन था कि मैसूर के प्रिटिंग प्रेस में छपे 2000 के नए नोटों की गड्डियों को चुपचाप देश भर की आरबीआई शाखाओं में पहुंचाया जाए। आरबीआई की शाखाएं भी सरकार की योजना को लागू करने के लिए चुपचाप रहकर ही तैयारियां कर रही थीं।
कई महीनों पहले शुरु हो गया था छपाई का काम
मैसूर में भारत रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड द्वारा चलाया जा रहा करंसी प्रिंटिंग प्रेस एक हाई सिक्योरिटी जोन है। यहां नोटों की छपाई का काम ठह महीने पहले शुरु हुआ था। इस जगह के लिए अलग से रेलवे लाइन और वॉटर सप्लाई पाइपलाइन है। यह प्रेस करीब दो दशक पुराना है। इस प्रेस के अंदर ही करेंसी पेपर तैयार करने की भी यूनिट है। नोटों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला खास कागज भी यहीं तैयार होता है।
वैन्स और प्लेन के जरिए पहुंचाए नोट
केंद्र सरकार ने मैसूर में नोटों के छपने के बाद आरबीआई की विभिन्न शाखाओं तक पहुंचाने के लिए एक प्राइवेट चार्टर्ड फ्लाइट ऑपरेटर की सेवाएं ली गईं। केंद्र सरकार ने इस कंपनी को 73 लाख 42 हजार रुपए का पेमेंट किया। यह रकम आरबीआई की एक शाखा में आरबीआई बेंगलुरु के एक अकाउंट से चुकाई गई। सरकार के ऐलान के बाद आरबीआई की शाखाओं से इस नई करेंसी को देश के विभिन्न बैंकों की शाखाओं में पहुंचाया गया। ऐसा करने के लिए हाई सिक्योरिटी वैन्स का इस्तेमाल किया गया। हर ब्रांच को उसके साइज के मुताबिक 20 लाख से लेकर दो करोड़ रुपए तक के 2 हजार के नोट दिए गए।
साभार : नवभारत टाइम्स
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