जानिए किस जगह कैसा है दिवाली मनाने का रिवाज़
हरियाणा में होती है अहोई माता की पूजा
हरियाणा के गांव में लोग दीपावली कुछ अलग ही ढंग से मनाते हैं। इस त्योहार से कुछ दिन पहले लोग अपने घरों में पुताई करवाते हैं। घर की दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाई जाती है। जिस पर घर के हर सदस्य का नाम लिखा जाता है। उसके बाद पूरे आंगन को मोमबत्तियों और दीयों से सजाया जाता है। हर घर से चार दीपक चौराहे पर रखे जाते हैं जिसे टोना कहते हैं।
महाराष्ट्र की दिवाली
महाराष्ट्र में दीपावली का सेलिब्रेशन चार दिनों का होता है। पहला दिन वसु बरस कहा जाता है। इस दिन आरती गाते हुए गाए और बछड़े का पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन को महाराष्ट्र में व्यापारियों के बहीखाता पूजन के लिए विशेष माना जाता है। उसके अगले दिन नरक चतुर्दर्शी पर सूर्योदय से पहले उबटन कर स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद पूरा परिवार मंदिर जाता है। चौथे दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही, करंजी, चकली, लड्डू, सेव आदि पारंपरिक व्यंजन का लुत्फ उठाया जाता है।
दक्षिण भारत
यहां दिवाली के एक दिन पहले यानी नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन मनाया जाने वाला उत्सव दक्षिण भारत के दिवाली उत्सव का सबसे प्रमुख दिन होता है। इसके लिए एक दिन विशेष तरह के पारंपरिक स्नान की तैयारी की जाती है। सुबह सभी अपने घर का आंगन साफ कर व धो कर रंगोली बनाते हैं। इस दिन नए कपड़े पहनने और मिठाई खाने का रिवाज़ है। दक्षिण में दिवाली से जुड़ा सबसे अनोखा रिवाज़ है जिसे थलाई दिवाली कहा जाता है। इस रिवाज़ के अनुसार नवविवाहित जोड़े को दिवाली मनाने के लिए लड़की के घर जाना होता है। जहां उनका स्वागत किया जाता है। उसके बाद नवविवाहित जोड़ा घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद लेता है। फिर वे दिवाली के शकुन का एक पटाखा जलाते हैं और दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं। दोनों के परिवार वाले जोड़े को अनेक तरह के गिफ्ट देते हैं।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में दिवाली का त्योहार बहुत उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। इसकी तैयारी 15 दिन पहले से शुरू कर दी जाती है। घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है। दिवाली की मध्यरात्रि में लोग महाकाली की पूजा अर्चना करते हैं।
पूर्व राज्य
असम, मणिपुर व त्रिपुरा आदि पूर्वी राज्यों में काली पूजा की जाती है। दीपावली की मध्य रात्रि तंत्र साधना के लिए सबसे उपर्युक्त मानी जाती है। इसलिए तंत्र को मानने वाले इस दिन कई तरह की साधनाएं करते हैं।
अन्य राज्य
मध्यप्रदेश, मेघालय, झारखंड आदि आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां दीपदान किए जाने का रिवाज है। इस अवसर पर आदिवासी स्त्री व पुरुष नृत्य करते हैं। यहां धनतेरस के दिन से यमराज के नाम का भी एक दीया लगाया जाता है। यह दीप घर के मुख्य द्वार पर लगाया जाता है, ताकि घर में मृत्यु का प्रवेश न हो।