इसरो चला सकते हैं तो एअर इंडिया क्यों नहीं, जानिए किसने दागा यह सवाल?
एयरलाइन को बेचे जाने की आखिर आवश्यकता क्यों पड़ी जबकि इसकी सीटें भरी होती हैं? भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश के कदम पर यह सवाल खड़ा करते हुए इस बात पर हैरानी जताई! उनका यह बयान वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस बयान के बाद आया है जिसमें जेटली ने कहा था कि एयर इंडिया का निजीकरण किया जा सकता है.
तीनों वर्गों की प्रत्येक सीट भरी रहती है
स्वामी ने ट्वीट किया कि दिल्ली में उन्होंने आने और जाने, दोनों ओर से एयर इंडिया से सफर किया है. सभी तीनों वर्गों की प्रत्येक सीट भरी रहती है. तो आखिर इसे क्यों बेचा जाए? अगर हम इसरो को चला सकते हैं, तो एअर इंडिया को क्यों नहीं? नीति आयोग ने पीएम ऑफिस को एयरलाइन के पूर्णतः निजीकरण करने का सुझाव दिया है.
52 हजार करोड़ रु. के कर्ज का बोझ
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा था कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सभी संभावनाओं का पता लगाने की जरूरत है, जैसा कि एयर इंडिया के निजीकरण को किया जा सकता है. इसके बाद स्वामी की यह राय बजरिये ट्वीट आना महत्वपूर्ण हो जाती है. गौरतलब है कि एयर इंडिया पर वर्तमान में 52 हजार करोड़ रु. के कर्ज का बोझ है.
अधिकारियों का भी यही मत
बहरहाल, एयर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अपना कर्ज चुकाने के लिए विमानन कंपनी के पास पर्याप्त संपत्ति है और सरकार को इसे बेचने या किसी निजी हाथ में सौंपने में जल्दबाजी नहीं करना चाहिए.
in Delhi. I travelled both ways by Air India. Every seat in all three classes was occupied. So why sell it? If we can run ISRO why not AI?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 15, 2017
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