Saturday, September 16th, 2017 22:28:24
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अगर होगा WHO के स्टैंडर्ड का पालन, तो 4 साल बढ़ जाएगी लोगों की “जिन्दगी”




अगर होगा WHO के स्टैंडर्ड का पालन, तो 4 साल बढ़ जाएगी लोगों की “जिन्दगी”Health & Food

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भारत में प्रदूषण की मात्रा प्रतिदिन बढ़ रही है। प्रदूषण फैलने से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है और उनकी जिन्दगी के पल कम हो रहे हैं। लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में “द एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट” द्वारा डवलप एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ के स्टैंडर्ड का पालन हुआ तो यहां के लोग चार साल ज्यादा जीवित रह सकते हैं। लेकिन, दुर्भाग्य है कि वर्तमान में हम इस मानक से आठ गुना ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस लेने के मजबूर हैं। हमारे अधिकांश शहरों में भारतीय मानक की तुलना में भी दो गुना हानिकारक धूल कण पाए जाते हैं। यानि की अगर हमें शुद्ध हवा और वातावरण मिले तो  लोगों की जिन्दगी के चार साल बढ़ सकते हैं।

अलग-अलग शहरों में ऐसे बढ़ेंगे लोगों की जिन्दगी के साल-

 इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अगर दिल्ली में WHO के मानकों का पालन किया जाता है तो यहां के लोग नौ साल ज्यादा जीवित रह सकते हैं और अगर ये देश के मानकों का पालन करें तो छह साल ज्यादा जीवित रह सकते हैं। वहीं कोलकाता और मुंबई के लोग 3.5 साल ज्यादा जीवित रह सकते हैं। बता दें कि 2014 और 2015 में दिल्ली दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर में से एक था। WHO मानकों के अनुसार Particulate matter(PM) के स्तर को स्वीकार कर लिया जाए।

रिपोर्ट के मुताबिक, WHO का कहना है, वार्षिक एवरेज Particulate matter (PM 10) के लेवल को 70 से 20 µg/m3 से कम करने से वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आ सकती है। सितंबर 2016 WHO के आंकड़ों के अनुसार, PM2.5 के लिए वार्षिक पैमाना 10 µg/m3 और PM10 के लिए 20 µg/m3 तय किया गया। देश में नेशनल गाउइड लाइंस ने PM2.5 के लिए वार्षिक पैमाना 40 µg/m3 और PM10 के लिए 60 µg/m3 तय किया।

प्रदूषण के कारण पुरूषों की आयु होती जा रही है कम

एक्यूएलआई की रिपोर्ट के अनुसार यदि देश प्रदूषण को कम करने के मानकों का पालन करे, तो हर भारतीय औसतन एक साल ज्यादा जिंदा रह सकता है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रदूषण के कारण पुरूषों का जीवन 67.3 प्रतिशत और महिलाओं का 69.6 प्रतिशत होता है। ईपीआईसी इंडिया के डायरेक्टर अनंत सुदर्शन ने कहा है कि सरकार को लोगों को समझाना चाहिए कि मानक को पूरा करने का मतलब कम साल जिंदा रहना है।

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