Study: दिल्ली की सड़कों पर लग जाती है 60 हजार करोड़ की चपत
इंडिया की सड़कों पर रोजाना करोड़ों रूपए का बिजनेस होता है लेकिन सड़कों पर ही लोगों को करोड़ों रूपए की चपत भी लग जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि करोड़ों रूपए की चपत वो भी सड़कों पर कैसे। तो आपको बताते है कि ऐसा हम नहीं ऐसा एक रिपोर्ट कह रही हैं। इसके मुताबिक दिल्ली वासियों को सड़कों पर कुल 60 हजार करोड़ रूपए की चपत लग जाती है।
दिल्ली की सड़कें देश की सबसे व्यस्त सड़कों में से एक है। यहां पर जो एक बार जाम में फंस जाता है वो घंटों बाहर नहीं निकल पाता। दिल्ली आौर मुंबई का जाम तो पूरे देश में ही फेमस है। यहां पर सड़कों पर गाड़ियां ही गाड़ियां नज़र आती है और जरा सी चूक हुई तो जाम भी लग जाता है। जाम लगने के बाद ही शुरू होता है आपको करोड़ों रूपए की चपत लगने का सिलसिला।
हाल ही में आईआईटी मद्रास की एक स्टडी में पाया गया कि दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले जाम के कारण सालभर में लोगो को कुल 60 हजार करोड़ रूपए की चपत लग जाती है। अध्ययन के मुताबिक, जाम में बर्बाद होने होने वाले ईधन, प्रोडक्टिविटी लॉस, वायु प्रदूषण और रोड़ दुर्घटनाओं में इतना नुकसान होता है। आपको बता दें कि इस विषय में दिल्ली हाईकोर्ट भी अपनी चिंता जाहिर कर चुका है।
इस स्टडी की माने तो आने वाले दस से पंद्रह सालों में दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले इस जाम के कारण होने वाले नुकसान का आंकड़ा और बढ़ जाएगा। स्टडी के मुताबिक दावा है कि दिल्ली में बढ़ती गाड़ियों के कारण 2030 तक ये नुकसान करीब 98 हजार करोड़ पर पहुंच जाएगा। स्टडी की माने तो ट्रेफिक जाम में बसों में सफर करने वाले यात्रियों के फंसने से प्रोडक्टिविटी लॉस होता है जो कुल लॉस का करीब 75 प्रतिशत है।
इसके अलावा महाराष्ट्र में की गई एक स्टडी के अनुसार एक बस करीब 35 प्राइवेट कारों की जगह ले सकती है और ट्रैफिक को कई गुना तक कम कर सकती है। 2015 में ग्लोबल ऑटोमोबाइल मेजर की स्टडी में ट्रैफिक को 10 में से 6 भारतीय ड्राइवरों की चिंता का कारण बताया गया था। भारत में इस प्रकार के आंकड़े काफी चौंकाने वाले है हो सकता है कि भविष्य में इन्हें रोकने के लिए सरकार और आम जनता कुछ प्रयास करे।
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