देशभर में सरकार ने एक के एक बाद स्कूल से लेकर सारे कामों में आधार कार्ड लगभग जरूरी कर दिया है। आधार कार्ड के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने पिछले 8 सालों के दौरान 9,000 करोड़ से भी अधिक राशि खर्च की है। यह जानकारी आज संसद में दी गई। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने लोकसभा में लिखित में पेश कर बताया कि 2009-10 से लेकर 2017-18 तक आधार कार्ड का खर्च 9,055.73 करोड़ रूपये रहा हैं।
एक नजर कितने करोड़ खर्च हुए आधार पर
–पंजीकरण पर 3,819.97 करोड़ रूपए पंजीकरण पर
–1,171.45 करोड़ रूपए लॉजिस्टिक पर जिसमें प्रिंटिंग और आधार पत्र का डिस्पैच
–21 जुलाई, 2017 तक 116.09 करोड़ रूपये आधार नंबर जनरेट किए जा चुके हैं।
–लगभग 115.15 करोड़ रूपये डिस्पैच किये जा चुके है।
सूत्रों के मुताबिक चौधरी ने कहा कि लाभार्थी के डाटाबेस के साथ आधार को जोड़ना डायरेक्ट बनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का एक महत्वपूर्ण कारक हैं। इससे लोगों को बेहतर तरीके से मार्क किया गया है और उन तक लाभों को अधिक पारदर्शी और दक्ष तरीके से पहुंचाया जा रहा है। डीबीटी के तहत 51 मंत्रालयों और विभागों की 314 योजनाओं को डीबीटी के तहत लाया जा चुका है। चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार से सभी पूर्ण या आंश्कि वित्तिय योजनाओं के लिए राज्य सरकारों से आधार आधारित डीबीट लागू करने का अनुरोध किया है।