सुसाइड के मामले देश में लगातार बढ़ रहे हैं। कोई डिप्रेशन के कारण, तो कोई व्यक्तिगत समस्या के चलते सुसाइड करने को मजबूर है। वहीं बीमारियों से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है वहीं साइंस टेकनीक से हो रही प्रगति के बीच सुसाइड के मामले बढ़ हैं। ये समस्या आज हर आम आदमी की चिंता का विषय है। इसे देखते हुए 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है।
WHO के अनुसार देश में हर साल 8 लाख लोग सुसाइड से मर जाते हैं। यानि की हर 40 सैकंड में एक व्यक्ति सुसाइड की तरफ कदम बढ़ाता है। इसके 25 गुना लोग आत्हत्या की कोशिश करते हैं। इसका खामियाजा वो लोग झेलते हैं, जिनका कोई अपना आत्महत्या कर दुनिया को अलविदा कह देता है।
ये हैं भारत में आत्महत्या करने के मुख्य कारण-
– भयानक बीमारी का होना।
– पारिवारिक कलह, मैरिड लाइफ में संघर्ष , गरीबी, मानसिक विकार, परीक्षा में फेल हो जाना।
– निराशा से घिरे रहना, प्रेम में असफलता।
– आर्थिक विवाद, राजनैतिक विवाद
महिलाओं की अपेक्षा सुसाइड करने में पुरूष आगे-
रिपोर्ट के अनुसार भारत में जीवन में कष्ट तो महिला और पुरूष दोनों की जिन्दगी में हैं, लेकिन इन सबको झेलते हुए महिलाएं तो आगे बढऩे की कोशिश करती हैं, लेकिन पुरूष बर्दाश्त नहीं कर पाते। यही वजह है कि भारत में महिलाओं के मुकाबले पुरूष ज्यादा संख्या में सुसाइड करते हैं। सुसाइड करने वाली महिलाओं में वो होती हैं, जो ज्यादातर मैरिड हों। इनकी उम्र अधिकतर 10 से लेकर 29 वर्ष के बीच है। इसके अलावा ऐसी महिलाओं का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा पाया गया है , जिन्होंने सुसराल वालों के साथ झगड़ा हो जाने के कारण आग से जलकर सुसाइड की।
कैसे रोका जा सकता है आत्महत्या को-
आत्महत्या को रोका जा सकता है। इस साल की थीम है संवाद, संपर्क और देखभाल। यह तीन शब्द आत्महत्या की रोकथाम के लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं। सोशल मीडिया के जमाने में आज हर व्यक्ति का संपर्क और संवाद अपने परिवारजनों से टूटता जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि संवाद और संपर्क को लोगों के बीच बढ़ाया जाए।आत्महत्या के पीछे मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक, व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ-
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.कमलेश उदेनिया का कहना है कि सुसाइड जैसे मामलों को रोकने के लिए परिवार के लोगों के बीच आपसी संवाद होना बहुत जरूरी है। साथ ही ऐसी समीतियों का गठन होना जरूरी है जो जीवन में निराश और हताश हुए लोगों की समस्या का समाधान खोजे और उनमें फिर से जीने का आत्मविश्वास जगाएं।