नेताओं की होगी बुरी हालत, पैसों के लिए तरसेंगी चुनावी पार्टियां
यूपी में अगले साल असेंबली इलेक्शन होने वाले है यूपी को भारत की राजनीति में सबसे अहम माना जाता है क्योंकि यहीं पर सबसे ज्यादा सीटे होती है। यूपी अकेला ही पूरे देश की राजनीति को बदल सकता है। चुनाव में अब चुनावी पार्टियों, चुनावी ट्रस्टों और नेताओं को झटका लगने वाला है। ये झटका कोई आम झटका नहीं है पूरे 440 वोल्ट का है। इस झटके का असर चुनावी पार्टी और चुनावों पर बहुत ही तेजी से होने वाला है।
चुनावी ट्रस्टों को झटका देने का काम किया है आयकर विभाग ने। विभाग ने चुनाव के राजनीतिक चंदे से जुड़े नियमों को सख्त कर दिया है। जिसके अनुसार अब चुनावी ट्रस्ट किसी भी विदेशी स्त्रोत से चंदा नहीं ले सकेंगे। पहले चुनावी ट्रस्ट विदेशी स्त्रोतों से चंदा मांगकर चुनावी प्रचार में खूब पैसा खर्च करते थे। जिससे बहुत से नेता चुनाव में जीत हासिल कर लेते थे।
भले ही सरकार ने चुनावी खर्च के लिए सीमा तय कर दी है लेकिन फिर भी हर चुनाव में चुनावी पार्टिया खुलकर खर्च करती है। इसी पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर कानून के नियम 17सीए में संसोधन किया है। उनका कहना है कि चुनावी ट्रस्टों को विदेशी अंशदान (नियमन) कानून 2010 के तहत विदेशी स्त्रोत के रूप में परिभाषित संगठन व फाउंडेशन तथा सरकारी कंपनी से पैसा लेने की अनुमति नहीं होगी।
अभी चुनावी ट्रस्ट किसी विदेशी इकाई या उन लोगों से चंदा नहीं ले सकते थे, जो कि भारतीय नागरिक नहीं है। इसके साथ ही उन पर चुनावी ट्रस्ट से पैसा लेने पर भी रोक थी। चुनावी ट्रस्ट गैर लाभकारी कंपनियां हैं जो कि विभिन्न संसाधनों से मिले धन को राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराती है।