भारत और जापान के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता
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पीएम नरेन्द्र मोदी के जापान दौरे से भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, भारत और जापान के बीच ऐतिहासिक परमाणु समझौता हो चुका है। पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री के शिंजो आबे की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इतना ही नहीं पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान जापान ने एनएसजी की सदस्यता को लेकर भारत के समर्थन में एलान कर दिया है। बता दें कि इस बात की जानकारी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने साझा प्रेस वार्ता के ज़रिए दी है।
आतंकवाद से लड़ने के लिए भी तैयार भारत और जापान
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान की रणनीतिक साझेदारी से समाज में शांति और समाज में बैलेंस आएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और जापान एक साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में अबे की भारत यात्रा के दौरान दोनों देश असैन्य परमाणु ऊर्जा सेक्टर में सहयोग के लिए बातचीत हुई थी। लेकिन कुछ मुद्दों को निपटाने में वक्त लगने के चलते करार पर हस्ताक्षर किया जाना बाकी था। भारत के साथ परमाणु करार करने वाले अन्य देशों में अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, फ्रांस, नामिबिया, अर्जेंटीना, कनाडा, कजाखस्तान तथा ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
क्या है इस समझौते के मायने?
इस समझौते के बाद जापान भारत में परमाणु तकनीक का निर्यात कर सकेगा। इसके साथ ही भारत टोक्यो के साथ ऐसा करार करने वाला पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने एनपीटी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। यह करार द्विपक्षीय आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को भी मजबूती प्रदान करेगा क्योंकि दोनों देश चीन का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा बाजार में जापान एक प्रमुख देश है और इसके साथ परमाणु करार होने से अमेरिका स्थित परमाणु संयंत्रों के निर्माताओं वेस्टिंग्सहाउस इलैक्ट्रिक कॉरपोरेशन और जीई एनर्जी इंक के लिए भारत में परमाणु संयंत्र लगाना आसान हो जाएगा क्योंकि इन दोनों कंपनियों का जापान में निवेश है।
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