… तो 2050 तक विदेशों से खरीदना पड़ सकता है पानी
यदि कोई आपसे कहे कि आने वाले समय में पानी खरीदना पड़ सकता है तो ये चौंकने वाली बात नहीं है। एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि 2050 तक ऐसी स्थिति हो जाएगी कि पानी विदेशों से खरीदना पड़ेगा। इस रिपोर्ट के हिसाब से तेजी से घट रहे भूमिगत जलस्तर के अनुसार 2015 तक हर व्यक्ति के लिए सिर्फ 3120 लीटर ही पानी बचेगा।
यह खुलासा हुआ है केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों से। जहां 1951 में प्रतिव्यक्ति पानी की उपलब्धता 14,180 लीटर थी, अब वह घटकर 5,120 लीटर प्रति व्यक्ति ही रह गई है। इस तरह से पानी के स्तर में 35 फीसदी की कमी आ गई है।
एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक प्रतिव्यक्ति के लिए रोजाना के हिसाब से 1951 की तुलना में सिर्फ 25 फीसदी भूमिगत जल ही बचेगा। वहीं 2050 तक यह उपलब्धता घटकर 22 फीसदी रह जाएगी। केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने भूमिगत जल को रिचार्ज करने की एक कृत्रिम योजना भी बनाई है, ताकि इस परेशानी से निपटा जा सके।
इन तरीकों से कर सकते हैं पानी की बचत
प्रयोग न करते समय नल बंद रखें
दांत ब्रश करते समय नल खुला रखने से 15 लीटर पानी बेकार हो सकता है।
किसी तरह के रिसाव को ठीक कराएं
एक बूंद प्रति सेकेंड की दर पर टपकने वाले नलों से हर वर्ष 10,000 लीटर पानी व्यर्थ हो सकता है।
रिसाइकिल करें, फिर से इस्तेमाल करें
सब कुछ बनाने में पानी लगता है। खरीदारी जरूरत पड़ने पर ही करें और पुनः इस्तेमाल की जाने वाली चीज को फिर इस्तेमाल करें। एक सूती टी-शर्ट बनाने में 2500 लीटर पानी और एक जोड़ा जींस बनाने में 10,000 लीटर पानी लगता है। कम से कम कपड़े खरीदें और वाशिंग मशीन या डिशवाशर का इस्तेमाल करते समय पूरे लोड के लिए पर्याप्त कपड़े या बरतन जमा होने का इंतजार करें।
स्नान
बाथ टब – बुरा विकल्प। शावर – अच्छा विकल्प। बाल्टी – बेहतरीन विकल्प।
बागवानी
खासकर विकसित देशों में भूदृश्य बनाने और बागवानी करने में घरेलू जल उपयोग का एक बड़ा हिस्सा लगता है। इसके अलावा, बागवानी में इस्तेमाल किए गए जल का 50 फीसदी, भाप से उड़ने या जरूरत से ज्यादा पानी देने के कारण बरबाद हो जाता है। होज या स्प्रिंकलर की बजाय बूंद-बूंद से होने वाली सिंचाई प्रणाली लगाएं। बगीचे में सुबह या शाम को पानी दें ताकि भाप के कारण कम पानी व्यर्थ हो। अपने बगीचे में स्थानीय पौधे लगाएं। देखें कि आपके बगीचे को पानी देने की जरूरत है या नहीं। अगर सतह के 2 इंच नीचे तक मिट्टी गीली है तो आपके पौधों को पानी की जरूरत नहीं है। अपने पौधों के आस-पास थोड़ी सड़ी-गली सब्जियां बिखरा दें। इससे नमी बनी रहती है और पानी, समय तथा पैसे की बचत होती है।
जो जल आप “खाते हैं”
अगर आप मांसाहारी हैं, तो अपना मांसाहारी भोजन कम कर दें। एक किलोग्राम चिकन में चिकन चारे और प्रोसेसिंग में लगने वाले पानी के अर्थों में 3900 लिटर पानी खर्च होता है और एक किलो मटन में 6000 लीटर पानी खर्च होता है। इसके विपरीत, एक किलो गेहूं में 1000 लीटर पानी लगता है। वैसे चावल थोड़ा महंगा है, एक किलो के लिए 3750 लीटर पानी की जरूरत होती है। सुबह में आप एक कप कॉफी पीते हैं? उसके बदले चाय पीने पर विचार करें। एक कप कॉफी के लिए जरूरी कॉफी बीन्स उगाने और प्रोसेसिंग में 140 लीटर पानी लगता है, जबकि एक कप चाय के लिए सिर्फ 30 लीटर पानी की जरूरत होती है।
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