पाक को अब भारत के साथ अफगानिस्तान भी नहीं पिलाएगा पानी
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उरी में किए गए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक तिलमिला गया है। बौखलाए पाक को जल्दी ही कूटनीतिक फ्रंट पर एक और बड़ा झटका लग सकता है। खबरों के अनुसार पाक को सबक सिखाने के लिए भारत अफगानिस्तान की काबुल नदी पर बांध बनाने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। इससे काबुल नदी के पानी का इस्तेमाल स्थानीय सिंचाई और बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकेगा। इन प्रॉजेक्ट्स के कारण काबुल का पानी अब सीधे पाक नहीं जा पाएगा।
इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों देश पूर्वी अफगानिस्तान की नदियों पर चेनाब नदी जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिये इसे मुमकिन बनाने का विकल्प तलाश कर रहे हैं। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक भारत की ज्यादा दिलचस्पी काबुल नदी में इसलिए है क्योंकि इसकी खूबियां कश्मीर की चेनाब नदीं से मिलती जुलती हैं। दोनों नदियों का बहाव 23 मिलियन एकड़ फुट का है। काबुल नदीं का पानी बिना कहीं रुके या इस्तेमाल किए ही सीधे पाकिस्तान पहुंचता है।
खबरों के अनुसार अफगानी राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी पिछले महीने जब भारत टूर पर आए थे तो उन्होंने खास तौर पर अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में नदीं सिस्टम डिवेलप करने की संभावना का मुद्दा उठाया था। इसके साथ ही उन्होंने गंभीर आतंकी खतरों के बावजूद सलमा डैम प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए भारत को बधाई भी दी थी। बता दें कि अफगानी राष्ट्रपति दिसंबर में फिर से भारत टूर करेंगे। वो यहां अमृतसर में होने वाले हार्ट ऑफ एशिया मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करने आएंगे। लेकिन खास बात तो ये है कि इस मौके पर पीएम मोदी भी वहां मौजूद रहने की संभावना है।
उरी हमले के बाद भारत ने चेनाब नदी पर चलने वाले तीन प्रोजेक्ट्स को पास कर दिया है। इससे पहले सिंधु नदी समझौते का हवाला देकर पाकिस्तान इस पर विरोध दर्ज कर रहा था। अफगानिस्तान की मुख्य नदियों काबुल, कुन्नार और चित्रल के पाकिस्तान जाने का मुद्दा कुछ अंतरराष्ट्रीय नियमों में बंधा हुआ है।