रक्षाबंधन का त्यौहार हर भाई बहन के लिए प्यार और भावनाओं का त्यौहार होता है और साथ-साथ भाइयों के लिए उनकी जेब थोड़ी सी ज्यादा हल्की करने का दिन भी। बहनें अपने भाई से अपनी रक्षा के वादों के साथ खूब सारे गिफ्ट्स भी तो वसूलती हैं इस दिन, जिससे भाइयों की जेब हल्की तो हो ही जाती है।
इस बार 2017 का रक्षा-बंधन थोड़ा अलग होगा, क्योंकि इस राखी पर न केवल भाईयों की बल्कि बहनों की जेब को भी लगेगा GST का करारा झटका। देश में नोट-बंदी और GST जैसे दो बड़े फैसले लिए गए हैं। 8 नवंबर 2016 के दिन नोट-बंदी और फिर 1 जुलाई 2017 के दिन घोषित GST ने लोगो की मुश्किलें बढ़ाई हैं। आम आदमी के हर त्यौहार पर इन फैसलों का विपरीत असर तो देखने को मिला है। पर इस रक्षाबंधन, भाइयों की जेब हलकी करके उनसे मनपसंद गिफ्ट्स लेने के लिए बहनों को भी थोड़ा ज्यादा ख़र्चा करना पड़ेगा, क्योंकि इस त्यौहार से जुड़ी दो सबसे अहम चीज़े, राखियाँ और नारियल पर GST की मार है।
राखी खरीदने से पहले सभी बहनों को राखी पर लगने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के बारे में जान लेना चाहिये। खुद केंद्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) ने राखी पर लगने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स के बारे में जानकारी दी है। CBEC ने कहा है कि पूजा सामग्री, कलावा (रक्षा धागा) पर तो GST की छूट हैं और राखी अगर कलावा के रूप में है तो इसपर भी किसी तरह का GST लागू नहीं है। लेकिन डिजाइनर राखियों पर GST लागू है और उनके दाम इस बार काफी महंगे हैं। सोमवार यानि 7 अगस्त को देशभर में राखी का त्यौहार मनाया जायेगा, और बाजारों मे राखियों की दुकानें भी सज चुकी हैं। पर राखी बेचने वाले दुकानदार अपने ग्राहकों को GST का हवाला देते हुए महंगी राखियां बेच रहे हैं।
नारियल और मिठाई पर भी GST भारी-
शगुन का प्रतीक नारियल जो रक्षाबंधन के पर्व पर हर बहन अपने भाई को तोहफे में देती है, उस पर भी जीएसटी ने अपना कहर बरसाया है। नारियल पर पूर्व में कोई टैक्स नहीं था लेकिन अब 12 प्रतिशत टैक्स लगेगा। मुँह मीठा करवाने के लिए भी ज्यादा ख़र्च करना होगा। मिठाई बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाल घी, मक्खन और मावा भी जीएसटी की मार झेल रहे हैं। पहले घी पर 5.5 प्रतिशत टैक्स था, वर्तमान में घी और मक्खन पर 12 प्रतिशत टैक्स देना होगा। मिठाई में मिठास भरने के लिए उपयोग होने वाली चीनी पर भी 5 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है।
इस बार जौहरियों में उम्मीद-
सोने चांदी पर लगने वाले जीएसटी की मार झेल रहे जौहरियों के काम में इस वजह से गिरावट आई है, लेकिन रक्षा बंधन के त्योहार पर उनकी उम्मीद फिर से जाग गई है। जौहारियों के कहे अनुसार इन दिनों सोने व चांदी की राखियों को लेकर लोगों की डिमांड बढ़ गई है। सही भी है, लोगों ने सोचा होगा कि आर्टफिसिअल महँगी राखियों को ख़रीदने से अच्छा है सोने-चांदी की राखीयां खरीदी जाएँ।
बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए मेकर्स अलग-अलग प्रकार की डिजाइनर राखियां तैयार कर रहे हैं। महंगाई में भी सोने-चांदी की राखियों की मांग पर कोई असर नहीं देखा जा रहा है। चांदी की राखियों की डिमांड बहुत है। बहनों का प्यार इस बार चांदी की चमक के साथ भाइयों की कलाई पर बंधेगा और सभी जौहरी इस उम्मीद को बनाए हुए हैं। जौहारियों के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद कीमतों में आई बढ़ोतरी से भी राखियों की मांग पर कोई खासा असर नहीं पड़ा है।