Tuesday, August 8th, 2017
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वो क्रिकेटर जिसने बनाई थी मिनट की स्पीड से सेंचुरी




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तेज रन बनाने वाले कितने खिलाड़ियों के बारे में आप जानते हैं। अधिकतर लोगों के मुंह से विराट, सचिन, धोनी, युवराज यही कुछ नाम सुने हैं लेकिन इंडियन क्रिकेट हिस्ट्री सिर्फ दो-चार नाम की नहीं है। इस हिस्ट्री में कई ऐसे दिग्गज बैट्समैन हुए जिन्होंने विरोधी टीम के छक्के छुड़ा दिए। ऐसे ही एक बैट्समैन की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं जिसने अपने पहले ही मैच में मिनट की स्पीड से रन बनाए थे।

हम बात कर रहे भारतीय क्रिकेट इतिहास के महान बल्लेबाज लाला अमरनाथ की। लाला अमरनाथ का पूरा नाम नानिक अमरनाथ भारद्वाज है। उनका जन्म 11 सितंबर 1911 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था और उनकी मृत्यु 5 अगस्त 2000 को दिल्ली में हुई थी। उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी जीवन की ख़ास बातें

मिनट की स्पीड से बनाए थे रन
लाला अमरनाथ को भारत के शानदार बैट्समैन के रूप में जाना जाता था। साल 1933 में उन्होंने बंबई जिमखाना में भारतीय सरजमीं पर पहला टेस्ट मैच खेला था। इस टेस्ट मैच में उन्होंने 118 रनों की धुआंधार पारी खेली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उस समय लाला अमरनाथ ने सिर्फ 117 मिनट में 100 रन बना दिए थे यानि मिनट की स्पीड से सेंचुरी मारी थी। भारत के लिए उस समय ये बड़ा गर्व का पल था क्योंकि वे पहले बैट्समेन थे जिन्होंने टेस्ट मैच में सेंचुरी मारी थी। उनकी इस पारी पर दर्शकों ने झूमते हुए मैदान में घुसकर पिच पर ही उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया।

इंग्लैंड से भेज दिया था भारत

इतनी धुआंधार पारी खेलने के बाद लाला अमरनाथ एकदम फेमस हो गए। लाला अमरनाथ की एक आदत थी कि वो जो मन में होता था उसे खुलकर बोल देते थे। इसी आदत का उन्हें एक बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। साल 1936 में अपनी इस आदत के कारण उन्हें इंग्लैंड दौरे से वापस भेज दिया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इंग्लैंड दौरे के दौरान इंडिया के कप्तान महाराज कुमार ऑफ विजयपुरम ने लाला अमरनाथ को अनुशासनहीनता के कारण स्वदेश लौटा दिया था। जानकारी के मुताबिक बल्लेबाजी के क्रम में उनकी जगह किसी और को भेजने की बात कैप्टन ने कही जिस पर लाला की कैप्टन से बहस हो गई। कैप्टन ने उन्हें वापस भारत भेज दिया। बाद में इस मामले की जांच हुई और लाला निर्दोष करार हुए।

13 साल बाद खेला चौथा टेस्ट
अपनी अनुशासनहीनता और द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण लाला अमरनाथ के खेलने के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष बेकार चले गए। वैसे विश्वयुद्ध के कारण अन्य क्रिकेटर्स के भी दो वर्ष खराब हुए थे। लाला अमरनाथ का चौथा टेस्ट उनके पहले टेस्ट से 13 साल के अंतराल पर रहा जो 1946 में इंग्लैंड में था।

आजादी के बाद पहले कप्तान
एक लंबे अंतराल के बाद जब लाला अमरनाथ ने वापसी की तो वे फिर हिट हो गए और इस बार उन्हें टीम की कप्तानी मिल गई। साल 1947 में टीम इंडिया की कप्तानी उन्हें दी गई और वे आज़ाद भारत के पहले कप्तान बन गए। उनकी कप्तानी में लाल विश्वनाथ ने विश्व की प्रथम दर्जे की टीमों के साथ खेलते हुए कुछ बेहतरनी शॉट्स देते हुए अच्छा प्रदर्शन किया। साल 1951 में लाला अमरनाथ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए जिसके चलते उन्हें कप्तानी छोड़नी पड़ी। लेकिन फिर टीम की हालत और खराब हो गई और अंततः लाला अमरनाथ को वापस कप्तानी सौपी गई। जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो उनके आते ही टीम ने सीरिज जीत ली।

सफल बॉलर भी थे लाला अमरनाथ
ऐसा नहीं है कि लाला अमरनाथ सिर्फ एक अच्छे बैट्समैन और कप्तान थे वे एक अच्छे बॉलर भी थे। साल 1946 में इंग्लैंड दौरे के दौरान एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में 5-5 विकेट झटकने का कारनामा किया था। साथ ही अपने करियर में 3 बार 4-4 विकेट भी निकाले। लाला अमरनाथ दुनिया के ऐसे एकमात्र गेंदबाज हैं जिन्होंने क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रेडमैन का हिटविकेट लिया था।

पाकिस्तानी को फिक्सिंग करते हुए पकड़ा था
लाला अमरनाथ ने साल 1954 में पाकिस्तानी टीम के कुछ खिलाड़ियों को अंपायर के साथ फिक्सिंग करते हुए भी पकड़ा था। स्पोर्ट्ज विकी के अनुसार 1954 पर जब भारत टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी तब पाक कैप्टन अब्दुल हफीज करदार ने भारत के उस समय के टीम मैनेजर लाला अमरनाथ को अपने घर चाय पर बुलाया था। तब ये दोनों बात कर रहे थे। उसी समय वहां मैच के अंपायर इर्दीस बेग रूम में आए और कहने लगे कि कल के मैच के लिए क्या करना हैं? तब लाला ने पूछा क्या करना है मतलब? तब वो अंपायर लाला को देखकर भाग गया. तब लाला ने पिसिबी को बताया की अगर उन्होंने अंपायर बदला नहीं तो हम टेस्ट मैच नहीं खेलेंगे।

उस समय कोई अंपायर नहीं था तो उस समय पाकिस्तान के सेलेक्टर मसूद सलाउद्दीन अंपायर बने थे. पहली बार कोई सेलेकटर अंपायर बना था. उस मैच में सलाउद्दीन ने करदार को स्टंप आऊट दिया था, तब वे 7 रन से अपने शतक से दुर थे. उसके बाद लाला ने कहा की अगर कोई दुसरा पाकिस्तानी अंपायर होता तो ये आऊट नहीं देता।

लाला अमरनाथ ने तोड़ी थी रिपोर्टर की नाक
लाला अमरनाथ का ये वाकया काफी फेमस है कि उन्होंने अपने आखिरी दिनों में एक रिपोर्टर की नाक तोड़ दी थी। दरअसल साल 2000 में उनकी तबीयत काफी खराब थी। उस समय वो 88 साल के हो चुके थे और मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे, किसी से फोन पर भी बात नहीं करते थे। उस समय उन्हें एक रिपोर्टर काफी परेशान कर रहा था। वो मैग्जीन के लिए उनका इंटरव्यू लेना चाहता था।

वो जब बिस्तर पर थे तब वो उन्हें बार-बार फोन लगाता था। एक दिन गुस्से में आकर उन्होंने उसे फोन लगाया और कहा कि आ जाओ। दरवाजे की घंटी बजी तो उन्होंने खोला और पत्रकार के मुंह पर ही जोर से बंद कर दिया और कहा लो मिल गई स्टोरी। जाओ अब लिख लो अपनी स्टोरी।

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