अगर यह कहा जाये कि हिंदुस्तान का इतिहास यहाँ निर्मित सदियों पुरानी पाषाण की इमारतों से भी झांकता है, तो कुछ गलत नहीं होगा। भारत की संस्कृति और यहाँ का इतिहास दुनिया में सबसे प्राचीन माना जाता है, भारत की संस्कृति, परंपरा और विरासत वास्तव मे भारत के भवनों, मंदिरों, किलों और महलों में समृद्ध है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक स्थित भारत के ऐतिहासिक स्थल, इस देश के वीरगाथा काल, मुगुलों के काल और अंग्रेजों के काल तक का इतिहास बयां करते हैं।
अजंता-एलोरा की गुफाएं, ताजमहल, कोणार्क सूर्य मंदिर, हम्पी के स्मारकों का समूह, खजुराहो के स्मारक, क़ुतुब मिनार, हुमायूँ का मकबरा, साँची स्तूप, जैसे प्राचीनतम स्मारक हमारे देश की गाथा पूरी दुनियाँ से कहते हैं। दुनिया भर से पर्यटक इन स्मारकों और वास्तुकला को देखने आते हैं और पत्थरों पर उकेरी गयी कला को देख कर अचंभित रह जाते हैं। और इन पत्थरों से बनी कला ने विश्व में देश का नाम ऊँचा किया है, देश की कई धरोहरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है जो हम भारतियों के लिए गर्व की बात है।
अजंता-एलोरा की गुफाएं
अजंता एलोरा की गुफाएं, सिर्फ चट्टानों को काटकर बनाई गयी आकृतियाँ हैं जिनमे बौद्ध गुफ़ा, मंदिर व मठ, शामिल हैं। यह स्थान अजंता गाँव के समीप, उत्तर-मध्य महाराष्ट्र, पश्चिमी भारत में स्थित है। अंजता की गुफ़ाओं का मुख्य आकर्षण भित्ति चित्रकारी है, अजंता की गुफाएं बौद्ध धर्म द्वारा प्रेरित हैं यहाँ बौद्ध धर्म की करुणामय भावनाओं से भरी हुई शिल्पकला और चित्रकला दिखाई देती है।
ताजमहल
ताज महल,एक सुंदर सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना खूबसूरती और प्यार का अद्भुत नमूना है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में पवित्र यमुना नदी के तट पर बना है। ताजमहल मुगल,फारसी और भारतीय स्थापत्य शैली का खूबसूरत अजूबा है। यह दुनिया के आठ अजूबों में से एक है।
कुतुबमीनार
ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची और रहस्यमय मीनार है दिल्ली की कुतुबमीनार। इस मीनार के चारों ओर भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें से अनेक इसके निर्माण काल सन ११९३ या पूर्व के हैं। देश की इस धरोहर को युनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में स्वीकार किया है।
साँची के स्तूप
तीसरी शताब्दी ई।पू से बारहवीं शताब्दी के बीच के इतिहास को बयां करते ये स्मारक, पत्थरों से बने अद्भुत बौद्ध स्मारक हैं। सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई।पू। में बनवाया था। इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट से निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे। बौद्ध धर्म में साँची का अत्यंत महत्व है, दूर दराज और विदेशो से बौद्ध धर्म के अनुयायी यहाँ आते हैं भगवान् बुद्ध का अनुभव करने के लिए।
हुमायूँ का मकबरा
भारत में मुगुलों के वास्तुकला और इतिहास की झलक दिखाती और हुमायूँ के जीवन के किस्सों को व्यक्त करती हुई यह अद्भुत आकृति नई दिल्ली के पुराने किले के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के पास स्थित है। यह कृति दुनिया को हमारे देश में मुग़ल शासनकाल की गाथा बताती है। बलुआ पत्थरों से बना यह स्मारक विश्व धरोहरो में शामिल किया गया है।
खजुराहो के स्मारक
लगभग एक हजार साल पुराने खजुराहो का इतिहास और महत्व यहाँ के नायाब और मिडिल ऐज के सबसे उत्कृष्ठ मंदिरों में समाया हुआ है। खजुराहो दुनियाभर में अपने मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। पत्थरों की सुन्दर और कठिन कला को देखने के शौकीन पर्यटक देश विदेश से यहाँ खींचे चले आते हैं। एक खास बात यह भी है कि खजुराहो के मंदिरों की खोज एक ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट ने की थी। यहाँ के नायब नक्काशी और पत्थरों पर बनी आकृतियों की वजह से इस स्मारक को भी यूनेस्को ने विश्व धरोहर में सम्मिलित किया है।
हम्पी के स्मारकों का समूह
पत्थर के पहियों पर चलने वाले रथ के लिए मशहूर हम्पी, कर्नाटक राज्य के दक्षिण में है, यहाँ पर पत्थरों से बने कई स्मारकों का समूह मिलता है जो शिल्पकारी की कला के इतिहास के बेहद सुन्दर प्रमाण हैं। यहाँ घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी ज्यादा स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष आदि अनगिनत इमारतें हैं। यहाँ के मुख्य हाल में लगे 56 खंभों को थपथपाने से संगीत की स्वर निकलते हैं। यहाँ मिलने वाले कलात्मक पत्थरों के स्मारकों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है।
कोणार्क सूर्य मंदिर
उड़ीसा के पूरी शहर में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर १२३६– १२६४ ई।पू। में लाल बलुआ पत्थरों और काले ग्रेनाइट से बनवाया गया कलिंग शैली का आश्चर्यजनक स्मारक है। इस मंदिर को भागवान सूर्य का रथ माना जाता है। पत्थरों पर नक्काशी करके उकेरी गई ख़ूबसूरती के लिए प्रसिद्द इस मंदिर को भी युनेशको ने विश्व धरोहर में शामिल किया है। और यह देश के लिए गर्व की बात है।