नई दिल्ली। देश में सबसे बड़े ‘आईएनएस चेन्नई’ को इंडियन नेवी में शामिल कर दिया गया है। आज यानी सोमवार को मुंबई में हुए कार्यक्रम में डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने मझगांव डाकयॉर्ड में 60 फीसदी स्वदेशी तकनीक के इस शिप को देश को सौंपा। ये भारत में बनाए गए सबसे लंबे मिसाइल डिस्ट्रॉयर वॉरशिप में से एक है। चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल सुनील लांबा भी इस मौके पर मौजूद थे।
‘कवच’ चैफ डिकोय सिस्टम से लैस यह वॉरशिप दुश्मन को चकमा देने के साथ दो हेलिकाप्टर भी ढो सकता है। इसके साथ ही पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन से समुद्र में मुकाबला करने के लिए भारत की ताकत बढ़ गई है। कोलकाता श्रेणी (परियोजना-15-ए) के तहत बनने वाले तीन जंगी जहाज में से यह आखिरी जहाज है।
पढ़िए इसकी खासियतें…
– आईएनएस चेन्नई की लंबाई 164 मीटर है और यह 7,500 टन का वजन उठा सकता है। इस डेस्ट्रॉयर में विविधताओं वाले टास्क और मिशन को अंजाम देने की ताकत है।
– जमीन से जमीन तक वॉर कर सकने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा लंबी दूरी की बराक-8 मिसाइल से लैस।
– समुद्र के अंदर जंग के समय दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए इसमें स्वदेशी एंटी-सबमरीन हथियारों और सेंसरों का प्रयोग किया गया है। इसमें खासतौर पर हुल माउंटेड सोनार ‘हुम्सा-एनजी’ भारी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर्स, रॉकेट लॉन्चर्स भी हैं।
– दुश्मन की मिसाइल से रक्षा के लिए इसे ‘कवच’ सिस्टम से लैस किया गया है। दुश्मन के टॉरपीडो से इसे कोई नुकसान न हो इसके लिए इसमें स्वदेशी ‘मारीच’ टॉरपीडो सिस्टम है।
– डेस्ट्रॉयर इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह दो मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर्स को भी ऑपरेट कर सकता है। इससे पहले कोलकाता सीरीज का ‘आईएनएस कोलकाता’ 16 अगस्त 2014 में और ‘आईएनएस कोच्चि’ 30 सितंबर 2015 में नेवी में शामिल हो चुके हैं। इन तीनों वॉरशिप की कुल लागत 11,500 करोड़ रुपये के आसपास रही है।