जीवन में कुछ लोग ऐसे होते जो शायद शब्द को ही निःशब्द कर देते है। ऐसे ही एक शख्स ने अपने विकलांग जीवन की परिभाषा बदल दी हैं। मदनलाल, हरियाणा के रहने वाले हैं, उनकी उम्र 45 वर्ष की हैं। बचपन से ही उनके हाथ नहीं है, पर विकलांगता कभी उनके लिए बाधा नहीं बनी। बचपन में उनके दादा जी उनका ध्यान रखते थे और दैनिक जीवन के काम में उनकी मदद करते थे।
किसी ने भी स्कूल में नहीं दिया एडमिशन
मदनलाल बताते हैं ‘जब मैं छोटा था तब सभी स्कूलों ने मुझे एडमिशन देने से मना कर दिया था सिर्फ मेरी डिसेबिलिटी के कारण। उस समय मैं बहुत डिप्रेस्ड हो गया था और उस समय मैंने सोच लिया था कि मुझे इन्हें कुछ करके दिखाना हैं। परिवार के पास इतना पैसा भी नहीं था की वे मुझे कहीं बाहर जाकर पढ़ाए और फिर मैंने सोचा कि सरकार भी मेरी मदद नहीं करेगी इसलिए मुझे ही इस जीवन में जीवित रहने के लिए कुछ करना होगा।
लोग उड़ाते थे मज़ाक
23 वर्ष की उम्र में मदन ने तय किया की उन्हें टेलरिंग करना है पर बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मदन बताते हैं कि, ‘‘जब भी मैं कोई टेलर के पास जाता और टेलरिंग सिखाने के लिए पूछता तो सभी मुझे देखकर हसते थे। वे लोग कहते थे कि बिना आर्म्स (बाहें) के यह संभव नहीं हैं।लोग मुझसे यह कहते थे कि तुम तो मशीन नहीं चला सकते हो, वापस अपने गांव चले जाओं।’’
इतना अपमान होने के बाद भी मदन रूकते नहीं हैं। वह फरीदाबाद जाते हैं और एक ऐसे ही टेलर की तलाश करते है जो उन्हें सिखाने की इच्छा रखें। वहां जाने के बाद मदन को एक टेलर मिलता है जो उन्हें सिखाने के लिए पहले मना कर देता हैं कहता हैं ‘तुम्हारी तो आर्म्स (बाहें) ही नहीं है, तुम सिलाई कैसे करोंगे? मदनलाल कहता है कि मुझे सिर्फ एक चांस दो।’
मैंने सबका विश्वास जीत लिया है
एक साल बाद मदन ने आखिर अपने पैर से सिलाई की कला सीख ही ली। मदन कहते हैं, ‘‘उस दिन मैं अपने सारे दु;ख भूल गया, वह मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था। लोग मेरा स्वागत कर रहे थे। पूरा गांव खुश था, जैसे वो मेरे परिवार का हिस्सा हो। लोग मेरा मज़ाक बनाते थे। उन्हें कभी विश्वास नहीं था कि मैं कभी अपने पैरों से सिलाई कर पाउगा पर उसके बाद धीरे-धीरे लोग स्टीचिंग के लिए आने लगे।
मदन बताते है कि वह ‘टेलरिंग की जितनी भी तकनीके है सब कुछ अपने पैर से करते हैं। कपड़ों की कटिंग से लेकर लोगों के स्टीचिंग के लिए नाप लेने तक सभी काम।आज गांव में सभी उन्हें रोल मॉडल की तरह देखते हैं। फिर भी कुछ लोग है जो कहते हैं वह अपने पैरों से कपड़े सिलते है जिससे वह गंदे हो सकते है।’
‘अतीत की तरह अब कुछ भी नहीं हैं मैंने सबका विश्वास जीत लिया है’