Struggle : 3 हफ्ते में होने वाली थी मौत, अब हैं सफल युवा ब्लॉगर
कहते हैं कैंसर एक जानलेवा बीमारी है लेकिन ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने कैंसर को मात देकर इस बात को झूठा साबित कर दिया है। उन्हीं लोगों में से एक नाम 27 साल की ’मामा’ का भी है। जिन्होंने न केवल कैंसर को मात दी बल्कि आज एक सफल ब्लॉगर भी हैं। तो आइए जानते हैं मामा के संघर्ष की कहानी…
मामा का जन्म 1989 में ब्रुकलीन में हुआ था लेकिन वे मोंटेरियल और हैती में पली-बढ़ीं। वे महज़ 14 साल की थीं तब उनके पैर की हड्डी और फेफड़ों में कैंसर हो गया। मामा का इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना था कि वे केवल 3 हफ्तों तक ही ज़िंदा रह पाएंगीं लेकिन मामा जीना चाहती थीं। जब मामा के डॉक्टर को उनके जीने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आई तो उन्होंने मामा को कुछ प्रयोगात्मक दवाइयां दीं। ये दवाइयां मामा के लिए वरदान साबित हुईं क्योंकि दवाइयों से मामा ठीक होने लगी थीं और उनकी जान बच गई। वे कैंसर से तो बच निकलीं लेकिन कैंसर के चलते उनके दाहिने पैर को उनके शरीर से अलग करना पड़ा। आज वे दो बैसाखियों के सहारे कृत्रिम पैर से चलती हैं।
17 की उम्र में शुरु किया था पहला सफ़र
जब वे 17 साल की थीं तब उन्होंने रिका कोस्टा की यात्रा की। इस यात्रा के बाद उनके सफ़र का सिलसिला शुरु हो गया। अब तक वे 5 महाद्वीपों के लगभग 20 देशों की यात्रा कर चुकी हैं।
ऐसे की ट्रेवल ब्लॉगिंग की शुरुआत
मामा ने कई बार अपने सफ़र के अनुभवों के बारे में लिखने की कोशिश की लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाईं। तब उन्होंने फैसला किया कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टम्बलर के माध्यम से अपने सफ़र की तस्वीरें लोगों से शेयर करेंगी। इसके बाद उन्होंने अपने सफ़र से जुड़ी तस्वीरें टम्बलर पर शेयर करनी शुरु कर दी। जब 2013 में मामा ने साउथ ईस्ट एशिया की यात्रा की तब उन्होंने महसूस किया कि दुनिया में ट्रेवल ब्लॉगर की कोई कमी नहीं है। ऐसे में उन्हें ब्लॉगर के तौर पर अपनी पहचान बना पाना थोड़ा मुश्किल लगा। इसके बाद मामा ने अपने सफ़र के दौरान के सभी अनुभवों को एक दिव्यांग व्यक्ति के नज़रिए से लिखना शुरु कर दिया और इसी तर्ज पर उन्होंने मामाकैक्स की शुरुआत की।
मामा एक प्रेरणा हैं उन लोगों के लिए जो कैंसर से हार मान लेते हैं और अपने जीने की इच्छा को खुद ही मार देते हैं। मामा को कैंसर जरुर हुआ था लेकिन मामा ने अपने अंदर जीने की इच्छा को कभी खत्म नहीं होने दिया और इसी के बल पर उन्होंने कैंसर को मात दी। आज मामा एक सफल ब्लॉगर हैं। उनकी अपनी वेबसाइट है। वे ट्रेवल, फैशन और लाइफस्टाइल पर ब्लॉग लिखती हैं।
Courtesy : caxmee, mamacax.com